मध्य प्रदेश

36 मौतों के बाद याद आई जिम्मेदारी, नगर निगम ने अवैध निर्माण पर की कार्रवाई, मंदिर ढहाया

इतनी बड़ी आपदा की जिम्मेदार अफसर को मिला प्रमोशन

इंदौर। 36 मौतों के बाद इंदौर नगर निगम की नींद खुली। रविवार रात 12 बजे निगम ने मंदिर पर नोटिस लगाया और सुबह 6 बजे मंदिर का अवैध निर्माण ढहा दिया गया। बेलेश्वर मंदिर का अवैध निर्माण वाला हिस्सा तोड़ दिया। रामनवमी के मौके पर इसी मंदिर में बावड़ी की छत धंसने से 36 लोगों की मौत हुई थी। सुबह 6 बजे से ही निगम का अमला मंदिर पहुंचना शुरू हो गया था। मंदिर का अतिक्रमण हटाने के विरोध में बजरंग दल और हिंदूवादी संगठन के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने खुद मंदिर पर पहुंचकर अतिक्रमण हटाया और शाम को उनका ट्रांसफर रीवा कलेक्टर के तौर पर हो गया।

एक तरह से इतनी बड़ी आपदा की जिम्मेदार प्रतिभा पाल को प्रमोशन मिल गया। दूसरी तरफ बावड़ी हादसे का ये मामला हाईकोर्ट भी पहुंच गया है। दिलीप कौशल निवासी पारसी मोहल्ला ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। जिसमें निष्पक्ष जांच के लिए हाईकोर्ट के सीटिंग जज की नियुक्ति करने की मांग की गई है। साथ ही प्रशासनिक और नगर निगम के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करते हुए कार्रवाई की मांग की है। बता दें कि गुरुवार को रामनवमी पर हवन के दौरान मंदिर की बावड़ी की छत धंसने से 60 लोग बावड़ी में गिर गए थे। कुछ लोग खुद निकल आए और 20 लोगों को रेस्क्यू किया गया था। हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई थी।

हादसे के अगले दिन मंदिर में ताला लगा दिया गया था। यहां आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया था। सोमवार सुबह मंदिर का ताला खोलकर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई। नगर निगम ने बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर के अवैध निर्माण को हटाने की कार्रवाई शुरू की तो विरोध में आसपास के कुछ लोग पहुंच गए। उन्हें अफसरों ने समझाइश देकर शांत कराया। एक अन्य स्थल गाडराखेड़ी में धार्मिक स्थल पर दुकान बना रखी थी। जैसे ही दुकान को हटाया वहां बावड़ी का रास्ता निकल आया। नगर निगम ने यहां से तत्काल अतिक्रमण हटा दिया है।

हादसे के ये हैं तीन बड़े कारण…

मंदिर से जुड़े लोग बोले : कुएं का भराव नहीं किया गया: मंदिर पुराना है। यह पहले बहुत छोटा था। करीब 25 साल पहले इसके विस्तार की योजना बनी। बावड़ी बंद करने का फैसला किया गया। ट्रस्ट ने बावड़ी का भराव नहीं किया और सिर्फ गर्डर और फर्शियां डाल दीं। इस पर टाइल्स लगवा दी गईं। यानी जहां लोग रोज दर्शन के लिए खड़े हो रहे थे, वहां नीचे जमीन खोखली थी। यहीं पर रामनवमी पर आरती के दौरान भीड़ जुटने से हादसा हुआ।

बावड़ी के खोखले हिस्से के पास अवैध निर्माण : जिस बावड़ी को बरसों पहले बिना भरे पैक किया गया उसी के पास दो साल पहले नया निर्माण शुरू कर दिया गया। नगर निगम ने इस अवैध निर्माण पर आपत्ति ली, लेकिन कार्रवाई नहीं की।

राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण टलती रही कार्रवाई : नगर निगम ने बावड़ी को लेकर कभी नोटिस दिया ही नहीं। उसने नए निर्माण को अवैध मानते हुए रोकने के लिए कहा, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। इसके पीछे एक बड़े भाजपा नेता का राजनीतिक दबाव था, यह बात अफसर स्वीकार रहे हैं।

नहीं पता था कि नीचे बावड़ी है…

स्नेह नगर निवासी और प्रत्यक्षदर्शी जीतू भाई ने कहा कि मुझे भी कन्या पूजन के लिए परिवार से बच्चियों को लेकर जाना था। घर से निकल रहा था तभी सूचना आई कि बावड़ी धंस गई है। करीब 20 साल पहले इसे बंद किया गया था। तब बावड़ी को पूरी तरह बंद नहीं करते हुए सिर्फ गर्डर फर्शी ऊपर डाली थी। आशंका है कि पुरानी गर्डर कमजोर होने के कारण वजन नहीं झेल पाए और ऊपरी हिस्सा टूट गया। 20 साल से मंदिर में दर्शन करने के लिए आ रहे श्रद्धालु दिनेश माकीजा का कहना है कि मुझे नहीं पता था कि नीचे बावड़ी है। बरसों पहले ही बंद कर दी होगी। इतना पता था कि मंदिर कैम्पस को बड़ा किया जा रहा है।

Back to top button