लेखक की कलम से

रामनवमीं पर नौ दोहे …

 

अयोध्या महिमा अपार है , माटी रस की खान ।

नवमी तिथि प्रगट भए हैं , सियाराम भगवान ।।1

गाएं बधाई हर्षित हैं , चौक पुराए द्वार ।

पुलकित सब गले मिले, बांट रहे हैं प्यार ।।2

आलोकित कर नगर को , दरसन की है प्यास ।

मैं ही देखूं छबि पहली , सबके हिय है आस ।।3

आया पावन परब है , बांटों सबको प्यार ।

मानव रुप धर ईश ने , लिया राम अवतार ।।4

मैंने अंर्तमन से लिया , जब रघुनंदन नाम ।

आ बैठी मां जानकी , फिर राघव के वाम ।।5

संग सिया और राम को  ,पूजती मन भर आस ।

फिर भगति के संदेश ले , आए हनुमत पास ।।6

तुझ सम जग में कौन है , दुखभंजन हे राम ।

जप आराधन कर रही , हो  करबद्ध प्रणाम ।।7

धरती में जब पाप बढे , लेते राम अवतार ।

भवसागर से तारते ,और उतारें पार ।।8

लगन लगी श्रीराम की , सुबहोशाम राम ।

जानूं राममय जगत को , है सबमें श्रीराम ।।9

©डॉ. सुनीता मिश्रा, बिलासपुर, छत्तीसगढ़

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