लेखक की कलम से

खुशी …

ऐ खुशी कहाँ ढूँढूँ तुझे

यहाँ वहाँ सारे जहाँ में कहाँ..

अस्पतालों के बिस्तर पर

ज़िंदगी मौत से जूझते मरीज़ों में

उनको बचाने के जद्दोजहद

करते डॉक्टर्स में या

तीमारदारों की निर्विकार

चेहरों में

ऐ ख़ुशी कहाँ ढूँढूँ तुझे….

शमशान की जलती चिंताओं मे

डोमों के सपाट चेहरों में

या उनके संस्कारों के लिए

बाट जोहती निस्तेज निग़ाहों में

ऐ खुशी कहाँ ढूँढूँ तुझे….

दवाई की दुकानों में

अस्पतालों के बाहर खड़े हुजूम में

या ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए कतारों मे इन्जार करते परिजनों में

ऐ खुशी कहाँ ढूँढूँ तुझे….

भूखे से पिचकते पेटो में

गालों पर सूखेआँसुओ की लकीरों में

या खाने की जुगाड़ में लड़खड़ाते कदमो में

ऐ खुशी कहाँ ढूँढूँ तुझे….

तू कही भी तो नही है…

कहाँ ढूँढूँ तुझे….

यहाँ वहाँ सारे जहाँ में

कहाँ…..??????

©नीलम यादव, शिक्षिका, लखनऊ उत्तर प्रदेश        

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