तोत्ते चान …
(यह कविता खंड जापान की एक लड़की तोत्ते चान पर आधारित नाटकीय मंचन की दृश्य को कविता के रूप में लिखा गया जो मन में उठने वाले भाव है)
एक लड़की,
निश्च्छल मन,
चंचल मन,
खेलना,
फुदकना चाहती,
आशाएं लिये,
भावनाए सँजोए
मन मे,
आसमान सी ,
पर्वत सी,
नदियों की धार सी,
बगियों की फूल सी,
हा मैं एक लड़की,
पकड़ी माँ की उंगली,
खुशी से आनंदित,
उठी झूम,
जाना था स्कूल,
कल्पना की क्यारियां,
डेस्क की आवजे,
धम-धम,
बंधा सा,
ठगा सा,
झरोखे पर खड़ी,
हा एक लड़की,
करती प्रश्न,
अबाबील से,
क्या करोगे बाते मुझ से,
हा करोगे बाते,
हा एक लड़की ,
तोत्ते चान हु,
बार-बार टीचर की,
डांट फटकार,
न करो खीझता,
मन मे अकुलाहट,
प्रकृति सा चंचल,
उमंगता,स्वतंत्रता,
बचपन मन को,
न करो दूर,
अपनत्व की भाव चाहिए,
ऐसी कल्पना लिये,
हा मिल गया,
मिल गया,
इक छोटी सी आशा,
खोजता मन मेरा,
अपनत्व, निजता की भाव,
छोटी सी आशाएं ,
मन की उमंगता,
इठलाती,बलखाती,
चंचलता की राह बनाती,
जो समझे भाव,
बरबस मेरी मन की भावना,
एक ऐसा इंसान,
प्रकृति की रम्यता,
हर भावो को जोड़ना,
बनता मदारी,
करता करतब,
हा चाहती हूँ,
ऐसी भाव,
हा तोत्ते चान हु,
मुझे जाना है स्कूल,
जाना है,
जाना है,
स्कूल,
हा मैं तोत्ते चान हूं,,
©योगेश ध्रुव, धमतरी, छत्तीसगढ़