लेखक की कलम से
रंगों से सराबोर ये जहां …
रंगों से सराबोर जब ये जहां हो जाता है।
हर तरफ़ खुशियों का तब समां हो जाता है।
तुम मन को टटोल कर देखना कभी फिर;
मुश्किलों का सफ़र भी आसां हो जाता है।
चलो मुट्ठी में भर लें इन कीमती लम्हों को;
पलभर के लिए हर दिल जवां हो जाता है।
इन रंगों ने हर ज़िन्दगी में रंग बिखेरे हैं इतने;
बिछड़े अपनों का भी प्यार ब्यां हो जाता है।
दुश्मन को भी अपना बना देती है ये होली;
वक़्त रंगों सा लगे सब पे मेहरबां हो जाता है।
©कामनी गुप्ता, जम्मू