लेखक की कलम से

हिंदी धरोहर है हमारी …

हिंदी धरोहर है हमारी, हिंदी से हिंदुस्तान है।

रस, छंदों का श्रृंगार है करती, यही हमारी शान है।

 

निर्मल , स्वछ सरल है भाषा,इस पर हमें अभिमान है।

लिपि देवनागरी है हिंदी में , लिखने बहुत आसान है।

 

संस्कृत भाषा से  है जन्मी, कबीर के रसखान है।

सूर, तुलसी की प्राण है हिंदी, मीरा का रसपान है।

 

हिंदी है ज्ञान का सागर, देता अमृत पान है।

रामायण और गीता सार ही, हमारे देश की शान हैं।

 

ऋषि मुनियों में रची बसी है, राज भाषा का ज्ञान है।

वेद,पुराण ज्ञानवर्धक है, इन पर हमें अभिमान है।

 

यदि हो जाये अनिवार्य हिंदी, मिले वेदों का ज्ञान है।

बच्चा बच्चा शिक्षित होगा, मिलेगा उच्च स्थान है।

 

अंग्रेजी बोलकर, क्यों हैं समझते, अपना स्वाभिमान हैं।

ऐसी भाषा नही बोलना, जो भुला दे, मातृभाषा का ज्ञान है।

 

आज कुंठित, व्याकुल है माता, क्यों भाषा से अनजान हैं।

जो शर्म करे हिंदी भाषा से, अपमान जनक ये काम है।

 

आओ हम सब मिलकर के, हिंदी दिवस मानते हैं।

अपने परिजन व बच्चों को, हिंदी का महत्व बताते हैं।

 

©मानसी मित्तल, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश    

Check Also
Close
Back to top button
close