मध्य प्रदेश

आंबेडकर के नाम पर ‘भय’ की कांवड़ : एक और हिस्ट्रीशीटर ने ठोकी राजनीति के अखाड़े में ताल

इंदौर/भोपाल। इंदौर का एक हिस्ट्रीशीटर अब नेता बनने को लालायित है। इंदौर के इस हिस्ट्रीशीटर ने शिव भक्तों के साथ आंबेडकर के अनुयायियों और सरकार को भी खुली चुनौती दी है। इसने महू से उज्जैन तक आंबेडकर कांवड़ यात्रा का ऐलान किया है। दलितों ने विरोध किया तो भाई के साथी बोले- मनोज परमार एमपी का किंग है, जो विरोध करेगा उसकी हड्डी तोड़ देंगे। दरअसल, इंदौर में भोजन, भंडारे और धर्मकथाओं से प्रसिद्ध नेताओं से इस हिस्ट्रीशीटर का खूब याराना है। इंदौर में दो नंबर के धंधे में इसका बड़ा हाथ है। मनोज परमार नाम के इस हिस्ट्रीशीटर ने इंदौर में कई बार फरारी के दौरान जुलूस में शामिल होकर खुलेआम पुलिस को चुनौती दी। अब वो दलित नेता बनकर आम्बेडकर कांवड़ यात्रा निकालने पर आमादा है। उसने महू से उज्जैन तक आम्बेडकर कांवड़ यात्रा का ऐलान किया है। बाबा साहेब के अनुयायियों ने इस यात्रा का कड़ा विरोध किया है।

यात्रा से बड़े गदर की भी आशंका है। विरोध करने वालों को परमार के गुंडों ने सरेआम सोशल मीडिया पर हाथ पैर तोड़ देने की धमकी दी है। दलित इस यात्रा को लेकर सरकार से भी हो सकते हैं नाराज। बाबा भोलेनाथ को चाहने वाले लोगों की संख्या करोड़ों में है। सावन के महीने में देशभर में कांवड़ यात्रा यात्राएं भी निकलती है। पर कभी किसी ने ऐसी यात्रा को किसी नेता के नाम पर नहीं निकाला। डॉ. आंबेडकर के नाम पर कांवड़़ यात्रा यात्रा निकालकर अपने राजनीतिक भविष्य को चमकाने की इंदौर के एक हिस्ट्रीशीटर की कोशिशों के खिलाफ आंबेडकरवादी लामबंद हो गए हैं। दरअसल, उज्जैन एसपी कार्यालय में रेणुका मालवीय नाम की एक सामाजिक कार्यकर्ता ने एक आवेदन देकर प्रशासन को चेतावनी दी है कि बलाई महासंघ के नेता महू से लेकर उज्जैन तक डॉ.आंबेडकर के नाम पर कावड़ यात्रा निकालने जा रहे है। यह हर हाल में रोकी जानी चाहिए। यह आंबेडकर की मान्यताओं और प्रतिज्ञाओं के खिलाफ है और इससे आंबेडकर को मानने वाले लोगों की भावनाएं आहत हुई है। यदि यह यात्रा निकाली गई तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते है और इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।

धर्म त्याग देने वाले डॉ. आंबेडकर के नाम पर यात्रा क्यो?

नागपुर में दीक्षा भूमि में 15 अक्टूबर 1956 को डॉ. आंबेडकर ने साढ़े 3 लाख से ज्यादा लोगों के साथ हिंदू धर्म त्याग दिया। उन्होंने इस मौके पर 22 प्रतिज्ञाएं कीं। इनमें उन्होंने प्रमुख रूप से यह कहा था कि मैं ब्रह्मा,विष्णु और महेश में आस्था नहीं रखूंगा और उनकी पूजा नहीं करूंगा। मैं राम और कृष्ण में आस्था नहीं रखूंगा, जिन्हें भगवान का अवतार माना जाता है। मैं इनकी पूजा नहीं करूंगा। गौरी,गणपति और हिंदू धर्म के दूसरे देवी-देवताओं में न तो आस्था रखूंगा और न ही इनकी पूजा करूंगा।

परमार का पुराना आपराधिक रिकॉर्ड

इंदौर का हिस्ट्रीशीटर माने जाने वाला यह शख्स पिछले कुछ सालों से दलित सवर्णों के बीच हुए विवादों के निपटारें में मध्यस्थता की भूमिका निभाता है। इस दौरान अपने सामाजिक संपर्कों का इस्तेमाल करके वह अब राजनीति में अपना किस्मत चमकाना चाहता है।

उज्जैन में भारी विरोध

उज्जैन पुलिस को इस कांवड़ यात्रा यात्रा रोकने और मनोज परमार पर केस दर्ज करने का जो आवेदन दिया गया है, उसमें कई वकीलों ने भी हस्ताक्षर किए है। उज्जैन जिला अनुसूचित जाति बाहुल्य है और यहां दलितों की नाराजगी सरकार को भारी पड़ सकती है।

यात्रा रोकने के लिए महू में एकजुट हो सकते हैं हजारों आंबेडकरवादी

डॉ. आम्बेडकर के नाम पर कांवड़ यात्रा का विरोध महू में भी हो सकता है और यात्रा रोकने के लिए यहां पर हजारों आंबेडकरवादी इक्ट्ठा हो सकते है

आंबेडकरवादियों की नाराजगी पड़ सकती है भारी

डॉ . आंबेडकर के करोड़ो अनुयायी देश भर में रहते है। मध्यप्रदेश में इनकी अच्छी खासी संख्या है। इस कांवड़ यात्रा यात्रा के विरोध में जिस प्रकार दलित बुद्धिजीवी सामने आए है, उससे यह बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।

मनोज परमार के समर्थक धमकी पर उतरे

उज्जैन से जब इस कांवड़ यात्रा यात्रा के विरोध की आवाजें सुनाई पड़ी तो सोशल मीडिया पर मनोज परमार के समर्थक बताए जा रहे कुछ लोगों ने विरोध करने वालो की हड्डियां तोडऩे तक की धमकी दे डाली।

सोशल मीडिया पर भी विरोध

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