मध्य प्रदेश

कर्मचारियों की चेतावनी: ओल्ड पेंशन लागू नहीं की तो बदल देंगे सरकार, एक महीने का दिया अल्टीमेटम

कर्मचारी संगठनों ने किया शक्ति प्रदर्शन, भेल दशहरा मैदान पर जमा हुए 10 हजार से ज्यादा कर्मचारी, प्रदेश अध्यक्ष बोले- सरकार हमारी आवाज सुने

भोपाल। कर्मचारी संगठनों ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कराने की मांग को लेकर आज भोपाल में भेल दशहरा मैदान पर बड़ा शक्ति प्रदर्शन किया। इसमें प्रदेश भर से अलग-अलग विभागों के कर्मचारी शामिल हुए हैं। इन कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि एक माह के अंदर ओल्ड पेंशन लागू नहीं की तो आगामी चुनाव में भाजपा सरकार को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। कर्मचारी बीजेपी के खिलाफ मतदान करेंगे। आज के प्रदर्शन में केन्द्र और राज्य सरकार के सरकारी और गैर सरकारी विभागों के कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि और कर्मचारी शामिल हुए।

ज्ञात हो कि, प्रदेश के कर्मचारी नियुक्ति दिनांक से सेवा अवधि की गणना के साथ पुरानी पेंशन बहाल करने की अपनी एक सूत्रीय मांग वर्ष 2017 से करते आ रहे हैं। कांग्रेस शासित राज्यों में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू होने के बाद इस मांग को लेकर मप्र में भी दबाव बढ़ता जा रहा है। लेकिन, अब तक सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि हम अब तक गांधीवादी तरीके से अपनी आवाज उठाते आ रहे हैं और हमें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसे जरूर लागू करेंगे। वहीं, चुनावी साल होने के कारण इन कर्मचारियों के आज के शक्ति प्रदर्शन ने सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। आज प्रदेश भर से करीब 10 हजार कर्मचारी अपनी मांग के समर्थन में राजधानी पहुंचे हैं। शिवपुरी जिले से कर्मचारी गीत संगीत की धुन पर टेंट में पहुंचे।

कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र

कर्मचारी संगठनों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम पत्र लिखा है। इसमें कहा कि भारत सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों अधिकारियों के लिए लागू केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियम 1972 ओल्ड पेंशन स्कीम को खत्म कर 1 जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में नियुक्त केंद्रीय कर्मचारियों, अधिकारियों पर नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू की है, जो पूरी तरह शेयर बाजार पर आधारित, जोखिम भरा और असुरक्षित है। इसमें निश्चित पेंशन व परिवार पेंशन का प्रावधान नहीं है। साथ ही वर्तमान में नेशनल पेंशन स्कीम से सेवानिवृत्त हो रहे केंद्रीय कर्मचारियों, अधिकारियों को बहुत कम पेंशन राशि मिल रही है, इस कारण उनकी सामाजिक आर्थिक सुरक्षा नहीं हो पाती है एवं परिवार का भरण पोषण तथा सम्मानजनक जीवन जीना मुश्किल हो रहा है। कर्मचारियों ने लिखा कि सेवानिवृत्त केंद्रीय कर्मचारियों, अधिकारियों की सामाजिक आर्थिक सुरक्षा का दायित्व भारत सरकार का है। राष्ट्रीय मानव आयोग ने केंद्र सरकार को लिखे पत्र में कर्मचारियों, अधिकारियों के मानव अधिकारों की रक्षा के खातिर एनपीएस की समीक्षा के लिए समिति गठित करने को कहा है।

पत्र में लिखा- विधायिका, न्यायपालिका को पुरानी पेंशन तो कार्यपालिका वंचित क्यों?

कर्मचारी संगठनों ने पत्र में लिखा कि वर्तमान में विधायिका तथा न्यायपालिका दोनों पुरानी पेंशन स्कीम 1972 ले रहे हैं तो फिर कार्यपालिका यानी कर्मचारी और अधिकारी इस योजना से वंचित क्यों? ज्ञात हो कि, हाल ही में राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ एवं पंजाब ने अपने राज्य के कर्मचारियों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए पुरानी पेंशन बहाल की है। पश्चिम बंगाल पहले से ही अपने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन दे रहा है। पिछले 6 सालों से एनएमओपीएस इंडिया के बैनर तले लगातार पूरे देश में पुरानी पेंशन बहाली के लिए सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारी संघर्षरत हैं। इस ज्ञापन के माध्यम से देश के 70 लाख कर्मचारी, अधिकारी अनुरोध करते हैं कि देश में बंद हुई केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियम 1972 के तहत पुनः बहाल की जाए और कर्मचारियों के लिए अभिशाप नई पेंशन स्कीम को खत्म किया जाए और करोड़ों कर्मचारियों अधिकारियों के बुढ़ापे को सुरक्षित किया जाए।

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