लेखक की कलम से

अनोखा उपहार…

गॉड विस्टा सोसाइटी में आज सुबह से ही बहुत चहल पहल थी। 25 दिसंबर की सुबह यानी क्रिसमस जीसस का दिन सुबह से ही बच्चे छुट्टी का आनंद ले रहे हैं। कुछ बड़े बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं वही कुछ छोटे बैडमिंटन खेल रहे हैं।

 

कुछ बुजुर्ग सर्दी की वजह से जो सुबह घूमने नहीं जा पा रहे है, करीब 8:30 बजे गुनगुनी धूप में घूमने और योगा करने का आनंद ले रहे हैं।

 

 

महिलाएं भी जल्दी-जल्दी अपना अपना काम कर रही है ,क्योंकि उन्हें भी शाम की क्रिसमस की तैयारी जो करनी है, गिफ्ट लाने हैं, केक तैयार करना है क्रिसमस ट्री सजाना है।

 

वही एक कोने में बैठी ऐमी नाम की पगली भी खिलौने को बच्चे की तरह खिला रही है। क्योंकि करीब 2 बरस पहले उसका बच्चा पैदा होते ही ईश्वर को प्यारा हो गया और उसके पति रोबिन की भी ज्यादा शराब पीने से असमय ही मृत्यु हो चुकी थी। इन सब से ऐमी का मानसिक संतुलन बिगड़ गया और वह एक खिलौने को ही बच्चे की माफिक गोद में रखने लगी। कोई कुछ दे देता खा लेतीथी उसे अपनी ज्यादा सुध न थी….

 

तभी वहां कुछ बच्चों का शोर सुनाई देता है, बच्चे बताते हैं की सोसाइटी के बाहर जो डस्टबिन लगा है उसमें से किसी छोटे बच्चे की रुक रुक कर रोने की आवाज आ रही है।

 

सोसाइटी के सभी सदस्य उस तरफ जाते हैं और देखते हैं कि एक नवजात बच्चा चिथड़े जैसे कपड़े में लिपटा है और ज्यादा सर्दी से रोये जा रहा है, पास खड़े कुत्ते भी उस आवाज में अपना भोजन तलाश रहे है, लेकिन डस्टबिन ऊंचा होने के कारण वहां तक नहीं पहुंच पाते।

 

शुक्र है बच्चे की सांसे चल रही है लेकिन कोई भी उसे अपनाने को तैयार नहीं है तभी पगली सी दिखने वाली ऐमी भी वहां पहुंचती है।वह बच्चे को उठाती है और सीने से लगा लेती है और अपने गर्म स्वेटर को उतारकर उसे उसमे लिपटा लेती है।

 

बच्चा भी एक सुखद अहसास से चुप हो जाता है उसे भी शायद मां की गोद का एहसास होता है। उस समय पगली को देखकर लगता ही नहीं कि यह पगली है ,लगता है कोई मां अपने बच्चे के लिए उतावली है, और उसकी रक्षा करना चाहती है।

 

पगली कहती है यीशु ने मेरी सुन ली ,मेरा बच्चा मुझे दे दिया ,आज मुझे यह अनोखा उपहार मिला है। हे गॉड तेरा लाख-लाख शुक्रिया तू सब जगह है ,तू सब की रक्षा करता है जीसस तेरा लाख-लाख शुक्रिया…

 

©ऋतु गुप्ता, खुर्जा, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश

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