दिल्ली बुलेटिन विशेष : ओएसडी शिखा राजपूत ने कहा- गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के लिए कलेक्ट्रेट भवन चयन पहली प्राथमिकता
10 फरवरी से होंगी पहली कलेक्टर
रायपुर (प्रमोद शर्मा) । गौरेला-पेंड्रा-मरवाही की ओएसडी शिखा राजपूत ने कहा है कि उनकी पहली प्राथमिकता कलेक्ट्रेट के लिए भवन का चयन करना होगा। संसाधन से लेकर अधिकारियों और कर्मचारियों का बंटवारा होना है। 9 फरवरी तक ओएसडी के रूप में काम करेंगी फिर 10 फरवरी से ओएसडी ही कलेक्टर होते हैं, यही प्रक्रिया है।
उन्होंने बताया कि नया जिला का जब गठन होता है तब उसकी पहली प्रक्रिया गजट नोटिफिकेशन है। 10 फरवरी 2020 को यह जिला अस्तित्व में आ जाएगा। इसके पूर्व ओएसडी के रूप में ही काम करना होता है। बिलासपुर जिले के साथ यह एक तरह से बंटवारा ही है। बंटवारा संसाधनों और स्थापना का होगा। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही ब्लॉक में जो अधिकारी- कर्मचारी अभी हैं वे सब 10 फरवरी से उसी जिला के कर्मचारी समझे जाएंगे।
दिल्ली बुलेटिन से बातचीत में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पहली प्राथमिकता कलेक्ट्रेट के लिए स्थल चयन है। कलेक्ट्रेट को कहां स्थापित करना है, अस्थायी रूप से अभी कहां-कहां पर सरकारी भवन है। किस भवन को लेने से संबंधित विभाग को ज्यादा परेशानी नहीं होगी और कलेक्ट्रेट के लिए उपयुक्त हो यह भी देखा जाएगा। मेरी जानकारी में अभी कलेक्ट्रेट के लिए बिल्डिंग का चयन नहीं किया गया है। कुछ बिल्डिंग को जरुर चिन्हांकित किया गया होगा। अब वहां जाने के बाद ही सभी बिल्डिंग को देखा जाएगा और सभी बातों को ध्यान में रखते हुए कलेक्ट्रेट मुख्यालय का चयन किया जाएगा।
ओएसडी शिखा राजपूत ने बताया कि बिलासपुर आने के बाद उनकी मुलाकात बिलासपुर कलेक्टर संजय अलंग से होगी। उनसे आगे की प्रक्रिया के बारे में बातचीत होगी। कितने अधिकारी-कर्मचारी शुरुआत में वहां रहेंगे यह सब तय होगा। यह जरूर है कि जो अधिकारी-कर्मचारी नए जिले में रहना चाहते हैं या नहीं रहना चाहते यह विकल्प अभी वे दे सकेंगे और यह प्रक्रिया में भी है।
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में अभी जितने विभाग हैं वहां पदस्थ कर्मचारी जिला मुख्यालय के हिसाब से पर्याप्त नहीं हैं। सभी विभागों से अधिकारी-कर्मचारी यहां के लिए भेजे जाएंगे। ज्यादातर विभागों के कार्यपालन अभियंता यहां पदस्थ हैँ। जिन विभागों में एसडीओ स्तर पर अधिकारी हैं वहां ईई भेजे जाएंगे।
लोगों की यह आम धाराणा है कि जिला बनने से विकास में तेजी आती है। कलेक्टर से लेकर जिला स्तर के तमाम अधिकारी वहां उपलब्ध हो जाते हैं। जहां पर मुख्यालय बनता है वहां नई बिल्डिगें बनतीं हैं। तब लोगों को लगने लगता है कि यहां भी विकास हो रहा है।
बिलासपुर का पांचवा बंटवारा
एक समय बिलासपुर जिले की भौगोलिक स्थिति काफी बड़ी थी। कोरबा और जांजगीर चांपा जिला पहले बिलासपुर से अलग हुआ। फिर कवर्धा जिला बना तब बिलासपुर जिले के पंडरिया विकासखंड को उसमें शामिल किया गया। मुंगेली जिला जब अस्तित्व में आया तब चौथी बार बिलासपुर जिले का विखंडन हुआ। अब गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला के रूप में बिलासपुर जिले का पांचवा बंटवारा हो रहा है।