रायपुर

श्रेष्ठ, वरिष्ठ और इष्ट के प्रति किए अपराध से मुक्ति दिलाता है शंकर के सौ नाम का जाप

प्रख्यात कथा वाचक और आध्यामिक संत मोरारी बापू ने कहा- हमारे सुख की जन्मभूमि शिवचरण रेणू है, रामचरित मानस में सत, चित और आनंद तीनों मिलते हैं

रायपुर। प्रख्यात कथा वाचक मोरारी बापू ने कहा कि जहां कुछ विशेष है, उनमें विचित्रता भी हो सकती है। परमात्मा को हमने परम विचित्र कहा है। भगवान शिव, महादेव, शंभू-शिव के शास्त्रोक्त सौ नाम हैं। तुलसी जी ने विस्तार ना हो इसलिए बताया कि हमारे लिए जो श्रेष्ठ है, वरिष्ठ है इष्ट है, वह हमारा कुछ माना हुआ हमारे धारणा के अनुकूल कुछ नहीं किया, तो मानव स्वभाव के मुताबिक उनके लिए हम कुछ गलत विचार करते हैं। आक्षेप करते हैं। इतना ही नहीं गालियां तक देते हैं। जब सच बाहर आता है, सत्य समझ में आता है तो हमें पीड़ा होती है, ग्लानी होती है। ऐसे अपराध से मुक्त होने के लिए शंकर नाम का सौ बार जप करो। जाप से सभी पाप से मुक्त हो सकते हैं।
उन्होंने भगवान शिव शंकर के जप की महत्ता बताते हुए कहा कि जपहू जाप शंकर शतनामा… सभी भूलो के संताप विसर्जित हो जाते हैं। इष्ट देव का व्यक्तिगत जो भी मंत्र हो सोने से पहले शंकर नाम के सौ जाप करो। यदि सौ नहीं केवल एक बार भी जप करने से हमें शांति मिलती है। मंत्र नहीं बदलो, लेकिन मुझे शंकर के नाम की महिमा कहनी है। बट का वृक्ष हो, किसके आधार पर खड़ा है? थड़ के आधार पर और जड़ मूल के आधार पर, लेकिन मूल जमीन के आधार पर खड़े हैं। सुख चाहिए तो सुख की जन्मभूमि खोजनी पड़ेगी। रामजन्म सुख की जड़ है, लेकिन भूमि शंकर की रेणू है। हमारे सुख की जन्मभूमि शिवचरण रज है। उन्होंने कहा कि संस्कृत श्लोक ‘कर्पूर गौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेंद्रहारम्’ का बिल्कुल सीधा सरल सटीक भाषांतर मार्मिक भाषांतर हुआ है। सुख जन्मभूमि महिमा अपार निर्गुण गुणनायक निराकार कर्पूरगौर करुणावतार संसारसार भुजगेंद्रहार सेवहू शिवचरण सरोजरेणू …। उन्होंने बताया कि भूल तो होगी ही, लेकिन जब भी समय मिले रात को शंकर के नाम का स्मरण करो। शंकर के शरीर की भस्म का एक कण भी हाथ में आ जाए तो पार हो जाएंगे।
हिंदू धर्म उपदेशक मोरारी बापू ने कहा कि रामचरित मानस में 5 चरित्र हैं। तीन रामायण की बात करते हुए बापू ने कहा एक रामायण योग वशिष्ठ-आदि रामायण, एक आनंद रामायण, एक वाल्मीकि रामायण। वाल्मीकि रामायण सत्य है। हर एक प्रसंग सत्य है। योग वशिष्ठ रामायण चित् की प्रधानता और आनंद रामायण आनंद की प्रधानता गाता है। लेकिन, तुलसी जी के रामचरित मानस में सत चित और आनंद तीनों मिलते हैं। सत्य की जरूरत हो, चित् को समझना हो या आनंद का अनुभव करना हो तो रामचरित मानस को पकड़ो। बालकांड में शिव और पार्वती का चरित्र का विस्तार है। हम शिवचरित्र समझें तो विश्राम जल्दी मिलेगा। नाम वंदना प्रकरण में राम नाम भी है मंत्र, महामंत्र है। चैतन्य महाप्रभु जी ने नाम स्मरण के दश अपराध की बात कही। तुलसी जी ने कहा कि भाव हो या ना हो, आलस से भी भगवान का नाम स्मरण करें तो परिणाम जरूर मिलेगा। मोरारी बापू ने कहा कि भगवत गीता के देवी संपत्ति योग के 15वें अध्याय के जितने भी लक्षण है रामकथा से, रामचरित मानस से हमारे अंदर उतरते हैं। निमित्त मात्र बने तो निमिष मात्र समय में युद्ध समाप्त हो सकता है।
अपनी कथा में मोरारी बापू ने आगे कहा कि रामकथा के चार घाट हैं।  ग्यान घाट, कर्म घाट और शरणागति घाट। श्रीमद्भगवद्गीता में अहिंसा शब्द चार बार ही आया है। भगवान की वाणी बहुत बड़े रहस्य को लेकर उतरती है। क्यों चार बार ही यह शब्द आया? क्योंकि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के चारों पुरुषार्थ में अहिंसा होनी चाहिए। लेकिन, आज धर्म में ही हिंसा है! अर्थ में कामनाओं में और मोक्ष मुक्ति मार्ग में निंदा भी हिंसा तक आती है। चारों वर्णों में भी अहिंसा होनी चाहिए। शरणागति का अर्थ कर्मविमुखता नहीं। 108 प्रतिशत शरणागति है तो कुछ नहीं करना पड़ेगा, लेकिन हमारी शरणागति अखंड नहीं। शंकर के पुत्र का एक नाम पुरुषार्थ है। पुरुषार्थ के छह मुख हैं। बापू ने कहा कि शिवचरित्र सप्तपदी है। शंका से समाधान तक सात अलग-अलग पद हैं। पहला पद विश्वास के बदले वहम आता है।
युवा वैज्ञानिक अभिजीत सताणी को किया सम्मानित
दूसरे दिन की कथा आरंभ पर मनुष्य के मस्तिष्क के विचारों को कंप्यूटर में प्रोग्रामिंग कर संशोधन करने वाले अमरेली के प्रतापगढ़ (गुजरात) के गौरव युवा वैज्ञानिक अभिजीत सताणी का अभिवादन कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर रमेश भाई ओझा का वीडियो संदेश भी प्रसारित हुआ।

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