मध्य प्रदेश

प्रदेश में नई रेत नीति का खाका तैयार, सरकार की सहमति का इंतजार

अब ठेकेदार नहीं बढ़ा पाएंगे रेत की कीमत, ठेके से पहले अग्रिम जमा करनी होगी आधी राशि

भोपाल। प्रदेश की नदियों को छलनी कर कमाई करने वाले ठेकेदार अब रेत के दाम नहीं बढ़ा सकेंगे। इसके अलावा ठेकेदारों को नए ठेके लेने पर ठेके की आधी राशि अग्रिम रूप से जमा करनी होगी। यह प्रावधान प्रदेश की नई रेत नीति में किए जा रहे हैं। नई रेत नीति का खाका तैयार हो चुका है, इसे कैबिनेट की स्वीकृति के लिए भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद खनिज विभाग इसका प्रारूप और प्रक्रिया आदि जारी करेगा। इसके बाद वर्षाकाल के बाद से नए टेंडर होंगे।

प्रदेश में इसी साल से नई रेत नीति लागू होनी है खनिज साधन विभाग ने रेत नीति का खाका तैयार कर लिया है, जो कैबिनेट की सहमति के लिए भेजा गया है। नई नीति में रेत की कीमत नियंत्रण में रखने के प्रयास भी सरकार कर रही है। इसमें प्रावधान किया है कि ठेकेदार रेत की कीमत नहीं बढ़ाएंगे। वहीं उन्हें ठेके की आधी राशि अग्रिम जमा करनी होगी। अब तक उन्हें 25 प्रतिशत राशि जमा करनी पढ़ती थी। कैबिनेट की अनुमति मिलने के बाद वर्षाकाल के उपरांत प्रदेश में नई रेत नीति के अनुसार खदानें नीलाम की जाएंगी। सूत्रों के अनुसार नई रेत नीति में तहसील स्तर पर समूह बनाकर खदानें नीलाम करने का प्रावधान किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इससे ज्यादा ठेकेदार खदानें ले सकेंगे, किसी एक पर बोझ नहीं पड़ेगा, जिससे राजस्व भी बढ़ेगा। इसके साथ ही खदानें पूरी अवधि तक चल सकेंगी। जानकारी के अनुसार नई रेत नीति में तीन साल के लिए खदानें नीलाम करने का प्रावधान किया गया है। बाद में सरकार इस अवधि को दो साल और बढ़ा सकेगी।

चार साल पहले बनी थी रेत की नीति

इससे पहले कमलनाथ सरकार ने वर्ष 2019 में रेत नीति बनाई थी, जिससे रेत खदानों से मिलने वाले राजस्व में छह गुना तक वृद्धि हुई थी, जो खदानें पहले ढाई सौ करोड़ में नीलाम होती रही थीं, वे 2019 में 1500 करोड़ तक में नीलाम हुई थीं। हालांकि इतनी अधिक मात्रा में राशि बढऩे से अधिकतर ठेकेदार ठेके की राशि खदानों से नहीं निकाल पाए थे और करीब 18 जिलों की खदानें ठेकेदारों ने बीच में ही छोड़ दीं या मासिक किस्त जमा न करने के कारण खनिज विभाग ने उनके ठेके समाप्त कर दिए।

खनिज विभाग लेगा पर्यावरण की अनुमति

इन खदानों को शुरू करने के लिए पर्यावरण और उत्खनन की अनुमति जरूरी होती है। यह काम अब ठेकेदार नहीं करेंगे, क्योंकि विभागीय जटिल प्रक्रिया के चलते कई ठेकेदार ठेके की अवधि समाप्त होने तक अनुमति नहीं ले पाते हैं। इस बार से यह अनुमति खनिज विभाग स्वयं लेगा। इसके बाद ठेकेदार को सभी अनुमतियों के साथ खदानें सौंपी जाएंगी। अपवाद की स्थिति में यदि ठेका दिया जा चुका है और अनुमति लेने में विलंब होता है तो जितना विलंब होगा, उतना अतिरिक्त समय ठेकेदार को दिया जाएगा।

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