मध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश के मंडला जिले की 3 और ग्राम पंचायतों के बैगा समुदाय को मिले हेबीटेट राईट्स

एसटी समुदाय को ताकत देने वाले इस विशेष अधिकार की ग्राम सभा एवं उपखंड वनाधिकार समिति की अनुशंसा को जिला वनाधिकार समिति ने दी स्वीकृति

मंडला। जिले में बैगा समुदाय को हैबिटेट राइट्स देने का एक और निर्णय लिया गया है। जिले के बैगा ग्राम अमवार तथा मवई जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत अमवार के बाद जिले की जनपद पंचायत बिछिया की तीन ग्राम पंचायत कन्हारीकला, चंगरिया और मेढ़ाताल की विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समुदाय के हेबीटेट राईट्स (प्राकृतिक पर्यावास के अधिकार) का दावा ग्राम पंचायत एवं उपखण्ड स्तरीय वनाधिकार समिति की अनुशंसा के बाद जिला स्तरीय वनाधिकार समिति द्वारा स्वीकृत कर दी गई है। यह स्वीकृति अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत (वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2006 नियम 2008 एवं नियम 2012 की धारा 3(1) ई के तहत मंजूर की गई है।

जिले की पहचान कही जानी वाली विशेष पिछड़ी जनजाती बैगा समुदाय के अधिकारों के संरक्षण के लिए जिले के बैगा बाहुल्य परिक्षेत्र कन्हारीकला, चंगरिया एवं मेढ़ाताल ग्राम पंचायतों के 541 बैगा परिवारों को वनभूमि 664 हेक्टेयर एवं राजस्व भूमि (बड़े-छोटे झाड़) के जंगल में 435 हेक्टेयर इस प्रकार कुल 1099 हेक्टेयर भूमि में हेबिटेट राईट प्रदान किए जाने को मान्यता दी गई है। बता दें कि मण्डला जिले में मवई जनपद के अमवार में हेबीटेट राईट प्रदान करने के बाद यह दूसरा एवं प्रदेश में तीसरा हेबीटेट राइट्स का अधिकार प्रदान किया गया है। संपूर्ण देश में भी चुनिंदा स्थानों पर हेबीटेट राईट प्रदान किया गया है। अब शासन की मंशा के अनुसार जल, जंगल एवं जमीन का वास्तविक अधिकार बैगा समुदाय को दिया जा रहा है। बैगा समुदाय अपने वनों में अपनी प्राचीन परम्पराओं के साथ निवास कर जीवन में अपनी धरोहरों को आगे बढ़ाते रहेंगे।

अनुषांगिक प्रयोजनों के लिये सांस्कृतिक मान्यताओं के स्थलों, संसाधनों तक आने-जाने के उपयोग, वन/राजस्व वन क्षेत्रों से प्राप्त काष्ठ, लघु-वनोपज, गैर कृषि खाद्य, चारागाह, औषधि, जलाऊ लकड़ी का संग्रहण तथा संसाधनों तक पहुँच के लिये आवागमन, परम्परागत तरीके से ग्राम की सीमाओं के अंदर नदी, नालों में मछली पकड़ने, सांस्कृतिक-धार्मिक प्रयोजन के स्थलों तक पहुँच एवं उपयोग, आजीविका के लिये खाद्य आदि संग्रहण एवं संसाधनों तक पहुँच के लिये आवागमन और बैगा परम्पराओं के अनुसार विभिन्न बीमारियों/प्राकृतिक प्रकोप के उपचार हेतु उनके औषधिक ज्ञान अनुसार औषधियों तक पहुँचने एवं संग्रहण के लिये स्थलों का चिन्हाकंन किया गया है।

पूर्व में मवई जनपद का ग्राम अमवार में दिया जा चुका है हेबीटेट राईट

मण्डला जिले में इसके पूर्व मवई जनपद के अमवार में हेबीटेट राईट प्रदान किये जा चुके हैं। शासन की मंशा के अनुसार जल, जंगल एवं जमीन का वास्तविक अधिकार बैगा समुदाय को दिया जा रहा है। हेबीटेट राईटस मिल जाने से बैगा समुदाय वनों में अपनी प्राचीन परम्पराओं का निर्वाह पहले की तरह निश्चिंत होकर कर सकेंगे।

क्या है हैबिटेट राइट?

ज्ञात हो कि सरकार द्वारा बैगा परिवार को दिया गया हेबीटेट राईट का मुख्य उद्देश्य यह है कि इससे बैगा समुदाय के लोग, अपनी इकोनॉमिक एक्टिविटी और कल्चर्ल एक्टिविटी के लिए जहां भी आते-जाते हैं। उसके लिए कहीं भी उनकी अनइंटरप्टेड मूवमेंट हो सकेगी। इसलिए पूरे एरिया के 1099 हेक्टेयर को हेबीटेट राईट के रूप में स्वीकृत किया गया है। इससे करीब 500 बैगा परिवारों के लोग लाभान्वित होंगे।

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