मध्य प्रदेश

एमपी में भ्रष्ट अफसरों पर कसेगा शिकंजा : जांच एजेंसियों के साथ विभाग भी कर सकेंगे कार्रवाई

लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू के साथ समानांतर रूप से की जा सकती है विभागीय जांच भी, निर्देश जारी

भोपाल। मध्यप्रदेश में भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारियों पर अब चारों तरफ से शिकंजा कसेगा। यानी शासन के नए निर्देश के अनुसार ऐसे अधिकारी कर्मचारी के खिलाफ अब इन्वेस्टिगेशन एजेंसियों के साथ संबंधित विभाग भी जांच कर सकेगा। पेरलर जांच होने से भ्रष्टाचारी का बचना मुश्किल होगा।सामान्य प्रशासन विभाग ने 9 साल पहले के एक सर्कुलर को सुप्रीम कोर्ट के एक मामले के हवाले से 17 नवंबर 2022 को निरस्त कर दिया है।

पुरानी व्यवस्था के तहत यदि किसी सरकारी अधिकारी कर्मचारी पर लोकायुक्त संगठन या ईओडब्ल्यू द्वारा ट्रैप और छापेमारी कार्रवाई की जाती है, तो ऐसे मामलों में समानांतर जांच करने का अधिकार विभाग को नहीं था। लेकिन यह सर्कुलर निरस्त होने के बाद अब सामान्य प्रशासन विभाग ने शासन के सभी विभाग, सभी संभागीय आयुक्त, सभी विभागाध्यक्ष और सभी कलेक्टर को ये अधिकार दे दिया है। अपने आदेश में विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के राजस्थान स्टेट वर्सेस बीके मीना के मामले का हवाला दिया है। इसमें कहा गया है कि तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर आरोपी अधिकारी कर्मचारी के खिलाफ आपराधिक मामलों में कार्रवाई और विभागीय कार्रवाई समानांतर की जा सकती है। अपने आदेश में सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डॉक्टर श्रीनिवास शर्मा ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले और विधि विभाग के अभिमत के आधार पर पहले वाले सर्कुलर को निरस्त किया जाता है और नई व्यवस्था को लागू करने के निर्देश दिए जाते हैं।

ये है पूरा मामला…

  • सामान्य प्रशासन विभाग ने 17 फरवरी 1999 को लोकायुक्त और ईओडब्लू की जांच के साथ विभागीय जांच के लिए सर्कुलर जारी किया था।
  • 30 जुलाई 2013 को सामान्य प्रशासन विभाग ने 17 फरवरी 1999 के सर्कुलर को यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि विभागीय जांच में संबंधित कर्मचारी अधिकारी के खिलाफ अनावश्यक टिप्पणी लिखी जाती है। इससे आगे की कार्रवाई और कोर्ट में परेशानी होती है।
  • अब सामान्य प्रशासन विभाग ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू के साथ–साथ विभागीय जांच समानांतर करने का निर्देश जारी किया है।

हर तरफ से कसा जाएगा शिकंजा

सामान्य प्रशासन विभाग के नए निर्देशों के अनुसार सरकारी कर्मचारी, अधिकारी के खिलाफ हो रही लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू की जांच के समानांतर संबंधित विभाग भी अपनी जांच शुरू कर सकता है। ऐसा करने से भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी के बचने की उम्मीद कम रह जाती है।  इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के साथ उस पर विभाग का शिकंजा भी कसता है।

Back to top button