लेखक की कलम से

सुप्रभात …

 

मौसम की चुप्पी ने हवा को बेचैन कर रखा है

हर कोई यहां दुख सुख का स्वाद चखा है

ऐसे एहसास से आंखें नम हो उठती हैं परस्पर

कोई आंसू में कोई मुस्कान में दर्द दबा रखा है!

 

              ©लता प्रासर, पटना, बिहार              

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