लेखक की कलम से
वाह यही बात है! वाह यही बात है …
सुख है साज है अहिंसा है साथ है!
प्रेम है अनुराग है आस है विश्वास है
चमक है सहूलियत है मंगलमय
परिवेश है!
कारनामों से भरा आज गांधी का देश है !
होती विदेशों में भी अपने देश की गूंज है!
वाह यही बात है, वाह यही बात है!
प्रगति पसरी है आज हर एक भाग में
शीतलता बरसती है यहां पेड़ों की आड़ में!
सूरज ऊर्जावान है हर व्यक्ति के काम में!
आग उगल आए,आज हर एक भाव में!
खुद की परछाई भी आज लगे गाने हैं!
वाह यही बात है, वह यही बात है!
फूल दिया जिसको वह शॉप रहा हार है!
उड़ता है विश्व मानवता का दुशाला है
देश अनुरागियों ने, देश का मान बढ़ाया है!
मेहनतकश पाता यहां शाम का सहारा है!
राष्ट्र के विकास की यह नई शुरुआत है!
वाह यही बात है, वाह यही बात है!
वाह यही बात है, वाह यही बात है
©अल्पना सिंह, शिक्षिका, कोलकाता