लेखक की कलम से

रूह …

वो रहते हैं हर वक़्त,
हमारे साथ- साथ,
यादों से उनकी हम,
जुदा न हो पायेंगे।

जो प्यारे हसीन पल,
साथ में गुजारे थे,
दिल से कभी हम तम्हें,
भुला नहीं पायेंगे।

काश वो ऊपर बैठा,
हमे बता देता,
उनके बिना जिन्दगी कैसे,
बिता पायेंगे।

करते है इन्तज़ार,
कयामत के उस दिन का,
जब उनकी रूह में,
हम भी समा जाएंगे।

 

©झरना माथुर, देहरादून, उत्तराखंड

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