तुम्हारा गुस्सा …
वो तेरा मुझ पर गुस्सा करके धीरे से मुस्कुराना..
वो तेरा झूठ मूठ का गुस्सा दिखा के इतराना..
मेरी हर बात समझ के ,, मुझे हर बात समझाना..
बहुत सुकुन देता है “दीदी” तुम्हारा मुझे “भाई” कहके बुलाना..
मेरी हर गलती पर डांट लगाना फिर मुझे उस डांट के बाद समझाना..
कोई और नहीं तुमसे प्यारा मैंने आज यह जाना..
बहुत सुकुन देता है “दीदी” तुम्हारा मुझे “भाई” कहके बुलाना..
राखी हो या भाईदूज वो तुम्हारा टीका लगाना..
कुमकुम हल्दी से मेरा माथा सजाना..
मिठाई खिला कर प्यार से दिल से दुआ दे जाना..
बांध के धागा कलाई पे मेरे अपना प्यार जताना..
बहुत सुकुन देता है “दीदी” तुम्हारा मुझे “भाई” कहके बुलाना..
मां बनके नसीहतें देना..
पिता बनके हिदायतें दोहराना..
छा जाए गम का अंधकार तो खुशी की किरण बनकर आना..
बस तुमसे ही सीखा है , गम में भी मुस्कुराना..
एहसास दिल में समाए है बहुत पर इन्हें कैसे समझाना..
बहुत सुकुन देता है “दीदी” तुम्हारा मुझे “भाई” कहके बुलाना..
© इंजी. सोनू सीताराम धानुक, शिवपुरी मध्यप्रदेश