लेखक की कलम से

अब तो बिकानी श्याम…

आवती न कबौ श्याम,तोहरे दुआर पै।
छवि मै तोहार गर ,देखती न सांवरी।।
कबौ को सुनाय तान,रिझायो हुतो श्याम तुम।
दिल पै सलोने मोरे,लागे नैन बान री।।
आवती न ————-न सांवरी ।।
अब लौ दिवानी हुती,अब तो बिकानी श्याम।
बनी है कहानी मोरी,तोरे संग नाम री।।
जियत न चैन अब ,मन मे है कोटि दुख।
देह पियरानी मोरी ,जाने सब गांव री।।
आवती न—————न सांवरी ।।
हंसी करबाइकै, रिझायो हिय श्याम तुम।
नैकौ काज कियो नांहि, मार्यो तरसाय री।।
आये दिल करौ जौन, राख्यो ना तमन्ना कोय।
प्रेंम को उधारो कौंन ,सहूं सब सौख री।।
आवती न———–न सांवरी री।।

©राहुल सिंह, हरदोई, उत्तरप्रदेश

Back to top button