लेखक की कलम से
कृष्णजन्माष्टमी…
ब्रज में देखो धूम मची आयो है,
कृष्णजन्माष्टमी का त्योहार,
दे दर्शन मोहे,
आज तू साँवरिया,
बिन दर्शन तेरे,
मन मोरे धीर न धराय,
सांवली सूरत तेरी मन है बसाये,
चहुँ ओर देखे नैना मेरे,
छवि तेरी हर जगह देखी जाये,
होकर बावरी तेरे प्रेम में,
दिल धड़का बेचैन मन मेरा,
राह तकू मैं तेरे दर्श को,
अखियन से अश्रु बह जाये,
तन सुध बिसराई चैन कहाँ ??
तू न मिला फिर मैं कहाँ ?
बजे है ढोल झांझ मजिरा,
सब तुझे रिझाने लगे,
तेरे एक दर्श पाने को,
सब तुझे मनाने में लगे,
राधा की जयकार लगा,
सब तुझे रिझाते है,
तू कहाँ है मेरे साँवरिया,
आ सब तुझे बुलाते है,
लगाकर छप्पन भोग,
मलाई मथकर,
छलिया कन्हैया को सब खिलाते है,
तेरी छवि अखियन में बसा,
शीश झुकाते है।
©अंशिता दुबे, लंदन