लेखक की कलम से

अंगिका भाषा के लिए जनगणना कोड नहीं देने का मामला गरमाया, अंग के वासी दुख और गुस्से में, पटना मार्च करेंगे …

कवि, लेखक और कलाकार हो रहे एकजुट,सांसद और विधायक भी हुए मुखर …

प्रसून लतांत । अंगिका भाषा के लिए कोड तय नहीं करने का मामला अब गरमाता जा रहा है । इसको लेकर  अंग प्रदेश के हर वर्ग में नाराजगी है। इस बारे में राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने गृह मंत्री  अमित शाह से अंगिका और बज्जिका के लिए भी कोड तय करने की मांग की तो बिहार में हंगामा मच गया है । हालांकि इसके लिए झा को विरोध का भी सामना करना पड़ रहा हैं फिर भी वे अपने कथन पर अडिग अडोल हैं। उनकी पहल को देखते हुए भागलपुर जिले के भी विभिन्न पार्टियों के विधायक भी मुखर हो गए हैं। सभी ने इस मामले पर केंद्र और राज्य सरकार को घेरने का ऐलान कर दिया है।

अंगिका भाषा की उपेक्षा को लेकर पहली बार अंग प्रदेश के  लोगों में व्यापक प्रतिक्रिया हुई है। जो भी सुनता है कि अंगिका के लिए कोई कोड तय नहीं किया गया, वह हैरान हो जाता है। उपेक्षा के खिलाफ उनके मन में गुस्सा बढ़ जाता है। अपनी मातृभाषा के प्रति प्रेमी मन दुखी होता जा रहा है। अंग प्रदेश के   विभिन्न स्कूल और कालेज के छात्र भी गृह मंत्री को पोस्टकार्ड लिख रहे है। भागलपुर, खगड़िया, गोड्डा में लोग धरना प्रदर्शन पर उतर आए हैं। भागलपुर से अंगिका के लिए कोड तय करने,बिहार में दूसरी राजभाषा घोषित करने और अष्टम सूची में अंगिका को शामिल करने की मांग को लेकर  16 जनवरी को पटना चलो अभियान का ऐलान कर दिया है। उसके पहले भी अंगिका के लिए आंदोलन हुए है लेकिन इस बार लोगों में गुस्से की लहर  ज्यादा फैलने लगी है। अंगिका के सम्मान के लिए सालों से संघर्ष करने वाले लोग अब नहीं रुकेंगे। वे संघर्ष की तैयारी में जुट गए हैं।

इस मामले में सत्ताधारी दल जदयू के सुल्तानगंज के विधायक प्रोफेसर ललित नारायण मंडल ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है । उन्होंने कहा है कि भारतीय जनगणना आयुक्त की मातृभाषाओं की सूची में अंगिका के लिए  कोड का उल्लेख करवाएं ताकि अंग महाजनपद के छह करोड़ वासी जनगणना के मौके पर स्वतंत्र रूप से अपनी मातृभाषा अंगिका के कोड का प्रयोग कर सके। कांग्रेस के विधायक और बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता अजीत शर्मा ने कहा है कि उन्होंने अंगिका भाषा के लिए विधानसभा में पहले भी आवाज उठाई थी। अब इसके लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखेंगे । बिहार विधानसभा के सत्र के दौरान सदन में भी इस मुद्दे को जोर शोर से उठाएंगे । यह दानवीर कर्ण के अंग प्रदेश की धरती है । इसे सभी जानते हैं ।

अफसोस है कि इसके बावजूद अंगिका की उपेक्षा की जा रही है। विहपुर के विधायक इंजीनियर शैलेंद्र ने कहा है कि हम लोग अंगिका भाषा में बात करते हैं।  मातृभाषा की सूची में अंगिका को शामिल कराने के लिए विधानसभा के सत्र में आवाज उठाएंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र में भी हमारी सरकार है। इसलिए हम उनके पास भी इस बारे में अपनी बात रखेंगे। मातृभाषा कोड में अंगिका  को शामिल नहीं करने को बहुत दुखद बताते हुए गोपालपुर के विधायक गोपाल मंडल ने कहा कि वे आगामी बिहार विधानसभा के सत्र में हर हाल में अपनी आवाज बुलंद करेंगे।

पीरपैंती के विधायक ललन पासवान ने अंगिका को बिहार की शान बताते हुए कहा कि  वे आगामी विधानसभा सत्र में आवाज बुलंद करने से नहीं चूकेंगे। नाथनगर के विधायक अली अशरफ सिद्दीकी का कहना है कि अंगिका को मातृभाषा का कोड नहीं मिलना बहुत गलत और दुर्भाग्यपूर्ण है इससे अंग वासी की पहचान खत्म हो जाएगी। वे इसके लिए विधानसभा में आवाज उठाएंगे। झारखंड में गोड्डा के भाजपा विधायक अमित मंडल ने भी अंगिका के लिए कोड तय करने की मांग की और  प्रदर्शन भी शुरू कर दिया है और नारा लगा रहे है जो जो अंगिका की बात करेगा वही संथाल में राज करेगा।

भागलपुर के कलाकार,रंगकर्मी और समाज सेवक अंगिका की उपेक्षा के खिलाफ स्थानीय सैंडिस कंपाउंड में नए साल पर हर साल से लगते आ रहे सांस्कृतिक मेले में अंगिका के कोड तय करने की मांग को लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाएंगे और अपनी आवाज बुलंद करेंगे।

तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी और अंगिका के विभागाध्यक्ष डा योगेन्द्र ने हैरानी जताते हुए कहा कि यह यू ही नहीं हुआ है। इसके पीछे गहरी साजिश की बू अा रही है। उन्होंने खुद को सभी भाषाओं का प्रेमी बताते हुए कहा कि विभिन्न भाषा भाषी के लोगों को आपस में परस्पर प्रेमी होना चाहिए। डॉ योगेन्द्र ने एक दूसरे की भाषाओं का सम्मान करने की जरूरत जताते हुए कहा कि भाषाओं को कभी भी नफरत पैदा करने वाला हथियार नहीं बनाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हरेक भाषा का अपना स्वायत्त क्षेत्र होता है जहां एक खास भाषा का अपना क्षेत्र होता है। उस क्षेत्र को दूसरी भाषा के लोगों को अपना क्षेत्र बताने की धृष्टता नहीं करनी चाहिए। पांच छह करोड़ की आबादी में बोली जाने वाली और विभिन्न विधाओं में प्रकाशित हजारों पुस्तकों से भरी पूरी लोकप्रिय भाषा है।जनगणना कार्यालय की प्रकाशित 277 मातृभाषाओं की सुचिं कोड में अंगिका स्थान नहीं देख कर हम सब मर्माहत हैं। सत्येन्द्र कुमार ने जानकारी दी है कि बिहार सरकार ने 2015 में बिहार अंगिका अकादमी का गठन के दिया है। बिहार अंगिका अकादमी अंगिका भाषा के उत्थान के लिए सतत प्रयासरत है।

उन्होंने निवेदन किया है कि भारतीय जनगणना के लिए तैयार किए मातृभाषा कोड में अंगिका भाषा के लिए भी कोड निर्धारित करने की कृपा की जाए ताकि अंग जनपद के पांच छह करोड़ अंगिका भाषी जनगणना के मौके पर स्वतंत्र रूप से अपनी मातृभाषा अंगिका कोड का प्रयोग कर सके। इसी तरह का एक अन्य पत्र तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के अंगिका विभाग के अध्यक्ष डॉ योगेन्द्र ने भी लिख कर भेजा है।

उन्होंने लिखा है कि विश्वविद्यालय के अंगिका विभाग से सैकड़ों विद्यार्थी एम् ए और पी एच डी हासिल कर चुके हैं। ऐसे में मातृभाषाओं की सूची कोड में अंगिका का नाम नहीं होना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उस बात को लेकर अंग प्रदेश के लोगों में भारी असंतोष है। अखिल भारतीय अंगिका साहित्य और कला मंच ने रोष जाहिर किया है।

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