लेखक की कलम से

ठाकुर परवान …

(सच्ची घटना)

अरीना ने क्यों पीतल की मूर्तियों में इतना मोह

इंसानों के लिए कोई दया माया नहीं।__(  ठाकुरों को नैना की नानी से कहा मैंने)

नानी बोली __ अरी मुई!

तुम ही निकली। नास्तिक! पूरे खानदान में।??

मैं__  9 दिन तो था पक्का लुचा।

गोपियों के कपड़े चुराता। मटकिया फोड़ ता?

इस बार! प्रयाग स्नान पर।

करेंगे मूर्तियां  दरिया परवान!!

मेरी बातें सुन डरकर नानी ने।

झट पल्लू में। छिपाई मूर्तियां।

तेज तेज कदमों।

चली गई मंदिर की ओर।

मैं अपनी हंसी ना रोक पाई!!

वाह वाह मेरी नानी!! !

 

© मीना हिंगोरानी, नई दिल्ली

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