पेण्ड्रा-मरवाही

स्वाभिमान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पूरन छाबरिया ने कहा- पेंड्रा जिले में खुले बायोस्फियर व रेसक्यू सेंटर

पेंड्रा (अमित रजक)। स्वाभिमान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पूरन छाबरिया ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेडकर व छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व देहरादून वन अनुसंधान संस्थान को पत्र लिखकर गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में बायोस्फियर व रेस्क्यू सेंटर खोलने की मांग की है। उन्होंने कहा कि 15 साल पहले पेंड्रा में बायोस्फियर सेंटर खोलने की मांग की गई थी।

उन्होंने कहा कि बायोस्फियर के लिए इस जिले का वातावरण सर्वाधिक उपयुक्त है। यहां के वनों में अनेक प्रकार के जीव जंतु, बहुमूल्य औषधि, वनोपज प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि इसी तरह पेंड्रा के इंद्रा उद्यान में देहरादून के वन जैव विविधता दल ने रेस्क्यू सेंटर की स्थापना का प्रस्ताव दिया था ताकि जंगली जानवरों व विलुप्त प्रजाति के वन प्राणियों की अति अनुकूल वातावरण में उन वन्यजीवों की अच्छी देखभाल हो सके लेकिन उसे भी बिलासपुर कानन पेंडारी भेज दिया गया। कानन पेंडारी में उचित वातावरण न मिलने से आए दिन वन्य जीवों के मौत की मिलती रहती है।

पूरन छाबरिया ने कहा कि आज जैव विविधता दिवस पर सैकड़ों वर्ष पूर्व के बफर स्टेट पेंड्रा की चर्चा करना भी अति आवश्यक है। विदित है कि आज से 100 साल पूर्व से पेंड्रा जमीदारी पुराने चार राज्यों का केंद्र बफर स्टेट कहलाता था। सरगुजा मण्डल, दादू लेंड शहडोल आदि और छत्तीसगढ़ का अंतिम छोर मिलकर यह केंद्र बनाते थे। जिसके करण यह एक बहुत बड़ा व्यपारिक केंद्र था। एक समय मिनी कलकत्ता के नाम से पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध था। उस वक्त भी यह पेंड्रा क्षेत्र लाख, वनोपज का सबसे बड़ा सेंटर था। अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण देश के प्रमुख बाजार का मूल्य पेंड्रा के आधार पर खुलते व बन्द होते थे।

उन्होंने कहा कि गौरेला के मंगल सिंह पिता भाना सेठ जिसके 169 साल पुराने बही खाते दिलीप केडिया के यहां देखे जा सकते हैं। पेंड्रा के लाल चंद जैन, दुबरी हलवाई आदि परिवार आज भी उन यादों को संजोये कर रखे हैं। पूरन छाबरिया ने कहा कि चारों दिशा से वनों से घिरा पेंड्रा, वन औषधी, वनजीवों से भरा पड़ा पड़ा था। इस कारण देश व एशिया प्रमुख टीबी सेंटीरियम में एक पेंड्रा सेनिटोरियम का भी नाम था।

विश्व में सफेद बाघ, शेर पेंड्रा में ही पाया गया था। इसी तरह 40 वर्ष पूर्व देश में सफेद भालू कमली पेंड्रा मरवाही में मिला था। जिसे बाद में उसे भोपाल भेजा गया। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में वन जीवों के जानकार धनसाय यादव जिनके एक आवाज भालू आ जाते थे व उनके इसरों से घूमते थे लेकिन आज शाकाहारी भालू भी मांसाहारी बन गए हैं और आए दिन वन्य जीवों के हमले से आदिवासियों की मौत हो रही है। उन्होंने कहा कि करोड़ों की जामवंत परियोजना वन विभाग की लूट का केंद्र बनकर खत्म हो जाती है। वनों से वन्यजीवों का भोजन जानबूझकर षड़यंत्र के तहत खत्म किया जा रहा है।   

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