छत्तीसगढ़पेण्ड्रा-मरवाही

बुजुर्ग पेड़ों की मृत्यु पर जताया शोक, लोगों ने प्रशासन की गलती पर डाला कफन, खुले दिल से की कार्रवाई की निंदा…

पेंड्रा। विकास कार्यों के लिए जीवन के लिए जरूरी ऑक्सीजन देने वाले पेड़ों की बलि दे दी जाती है. छत्तीसगढ़ के पेंड्रा जिले में सैकड़ों साल पुराने पेड़ों की बलि दे दी गई तो लोगों ने अपने विरोध का अलग प्रदर्शन किया. लोगों ने काटे गए पेड़ों को कफन चढ़ाया. प्रशासन द्वारा पुराने पेड़ों के काटने पर लोगों में नाराजगी है.

पेंड्रा जिले में नई कंपोजिट बिल्डिंग बनाए जाने को लेकर प्रशासन ने छुट्टी के दिन का ऐसा काम कर डाला जिससे लोगों में बेहद नाराजगी है. छुट्टी का दिन होने के कारण पर्यावरण प्रेमी विरोध नहीं कर पाए और वे घरों पर ही रह गए। वहीं एक त्रुटिपूर्ण आदेश के तहत छुट्टी का फायदा उठाते हुए करीब एक दर्जन पेड़ काट दिए गए. इसको लेकर स्थानीय लोगों का विरोध शुरू हो गया है. नाराज लोगों ने काटे गए पेड़ों के ठूंठ को कफन ओढ़ा दिए तो जो पेड़ काटे जाने के लिए चिह्नित किए गए हैं उनको रक्षा सूत्र बांध दिए गए.

प्रशासन ने यहीं पर पेड़ों को काटकर कंपोजिट बिल्डिंग बनाए जाने का प्रस्ताव तैयार किया है. पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि इसके लिए एसडीएम पेंड्रारोड ने फिलहाल पहले चरण में आठ पेड़ों को काटने की अनुमति दी, पर इसमें काफी त्रुटियां थीं. शनिवार-रविवार को छुट्टी का फायदा उठाते हुए ठेकेदार और लोक निर्माण विभाग ने करीब एक दर्जन पेड़ों को काट दिया. यह जानकारी मिलते ही लोगों ने तुरंत अधिकारियों को सूचना दी, मगर जिम्मेदार बहानेबाजी में जुटे रहे.

इसके बाद पर्यावरण प्रेमियों ने काटे गए पेड़ों के ठूंठ के सामने शोक व्यक्त करते हुए कफन ओढ़ाया और पेड़ कटाई की निंदा की. लोगों का आरोप है कि एसडीएम की अनुमति में 100 साल से अधिक पुराने बरगद का विशाल पेड़ काटने का जिक्र है, जिसको रोकने के लिए लोगों ने बरगद के पेड़ को रक्षा सूत्र बांधकर विरोध दर्ज कराया.

पेड़ काटने का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि इसी परिसर के आसपास और जिले में कई दूसरी जगह है, जहां पर कंपोजिट बिल्डिंग बनाई जा सकती है. क्षेत्र की पहचान गुरुकुल और सेनेटोरियम परिसर की हरियाली को बचाया जा सकता है, मगर प्रशासन मनमाने तरीके से काम कर रहा है. पेड़ों की कटाई को लेकर लोगों ने एनजीटी और केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को ऑनलाइन शिकायत भी की है.

वर्तमान जिला कलेक्टर कार्यालय के ठीक बगल में क्षेत्र की ऐतिहासिक धरोहर गुरुकुल परिसर में ही जिले का नया कंपोजिट भवन बनाया जाना प्रस्तावित है. जहां सौ साल से अधिक पुराने पेड़ हैं और यहीं सेनेटोरियम अस्पताल भी है, जिससे गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर का इतिहास जुड़ा है.

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