मध्य प्रदेश

बिजली कंपनी के निजीकरण का शुरू हुआ विरोध, 10 जुलाई से तीन दिन की हड़ताल पर जाएंगे कर्मचारी

भोपाल। ज्वाइंट वेंचर के माध्यम से मध्य प्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी लिमिटेड, टीवीसीबी के माध्यम से मध्यप्रदेश ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड और इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल के माध्यम से वितरण कंपनियों का निजीकरण के विरोध सहित सात सूत्रीय मांगों को लेकर चलाये जा रहे चरणबद्ध आंदोलन को गति देने के लिए  प्रदेशभर के बिजली कर्मचारी 10 जुलाई से 3 दिन हड़ताल पर जाएंगे। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि शुरुआती समय में तीन दिन की काम बंद हड़ताल होगी, इसके बाद भी अगर सरकार ने अपना निर्णय नहीं बदला तो फिर और भी कड़ा रास्ता अपनाया जाएगा।

बिजली अभियंता संघ के महासचिव विकास कुमार शुक्ला ने कहा कि 28 जून को किये एक दिवसीय कार्य बहिष्कार जो हुआ था वह बहुत ही सफल रहा। उन्होंने कहा कि पिछले आंदोलन के अनुभव अनुसार आगामी तीन दिवसीय कार्य बहिष्कार से पूर्व सृदृढ़ रणनीति बनाई गई है। बैठक में सभी पदाधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी लोग को निजीकरण के दुष्परिणाम से कर्मचारी और जनता को अवगत करवाए। बैठक में सभी पदाधिकारियों से कहा गया कि वह अपने- अपने क्षेत्र में जाकर अभियन्ताओं, कर्मियों एवं जनता को बताए कि निजीकरण से प्रदेश में विद्युत की कीमतों में वृद्धि होगी एवं मध्यप्रदेश शासन को सालाना 130 करोड़ के लगभग अतिरिक्त बोझ उठाना होगा।

निजीकारण का लाभ औद्योगिक घरानों को

पदाधिकारियों ने बताया कि बिजली कंपनी के निजीकरण से औद्योगिक घरानों के अतिरिक्त किसी को लाभ नही होगा। बैठक में क्षेत्रीय सचिवों से कहा गया कि अपने- अपने क्षेत्र में आम जनता से अपील जारी करें कि वे अभियन्ता संघ के आगामी तीन दिवसीय कार्य बहिष्कार को समर्थन प्रदान करें। इंजीनियर संघ के अध्यक्ष हितेश तिवारी ने कहा कि अखिल भारतीय अभियन्ता संघ से लेकर प्रदेश स्तर के अभियन्ताओं द्वारा सभी तथ्यों का बारीकी से अध्ययन करने पर यह निष्कर्ष निकला है कि विद्युत विभाग में निजीकरण से प्रदेश की व्यवस्था चरमरा जाएगी, कर्मियों के हितों का हनन होगा एवं आम जनता के लिए आर्थिक रूप से घातक भी है, इसलिए अभियन्ता संघ का दायित्व है कि वह विधुत परिवार के हर कर्मी तक निजीकरण के दुष्परिणामो को पहुंचाए, ताकि हर विधुतकर्मी निजीकरण की लड़ाई में स्वत: शामिल होकर विरोध दर्ज कर सके।

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