संकल्प …
एक दीया …
जला कर… एक
दीया विश्वास का,
हमें मानव सभ्यता में,
विजयी उद्घोष जगाना है ।
हम हैं भारत की संतान
मिलकर कोरोना को हराना है।
जलाकर दूसरा … .दीया
प्रेम का
हमें आपसी भाईचारा लाना है।
धर्म से ऊपर है ….मानवता।
मिलकर कोरोना को हराना है।
जलाकर तीसरा ….दीया
देश हित में लगे ,
असंख्य जनों के प्रति ,
कृतज्ञ हो जाना है ।
जो लड़ रहे कोरोना से,
दिन-रात उनके लिए,
दुआ में हाथ उठाना है।
जलाकर चौथा …..दीया
देश हित का हमें ,
देश का मान बढ़ाना है।
कोरोना से उपजे ,
अंधकार को विजयी प्रकाश के ,
दीयों से जगमगाना है।
मिलकर कोरोना को हराना है।
जलाकर पांचवा….. दीया
कुदरत का उपकार मनाना है।
बहुत गलतियां कर चुके ,
हम कुदरत के साथ ,
अब समस्त भूले सुधारना है।
मिलकर कोरोना को हराना है।
जलाकर छठा …..दीया
स्वच्छता का वचन निभाना है।
हम रोकेंगे गंदगी के अंबार को,
जन-जन को स्वच्छ बनाना है। मिलकर कोरोना को हराना है।
जलाकर सातवां….. दीया।
सत्य का पथ अपनाना है।
मिलावट, धोखेबाजी, भ्रष्टाचार, अनैतिकता को हटाना है ।
अपने भीतर से,
झूठ खत्म कर,
सत्य का साथ निभाना है।
मिलकर कोरोना को हराना है।
जलाकर आठवां …..दीया
अपनी अमर
सभ्यता का ध्यान कर जाना है। कितने ही,
राक्षसों रूपी कोरोना,
भारत की सभ्यता को हरने आए। लेकिन बच नहीं पाए
वही संकल्प दोहराना है।
मिलकर कोरोना को हराना है।
जलाकर नौवां …..दीया
आज भारत के हर हाथ में ,
नौ बजके नौ मिनट के लिए ,
जल रहे दीयें को ,
विश्वास दिलाना है।
इस प्रकाश में ,
संकट की घड़ी में ,
मिलकर उस ,
अदृश्य शत्रु पर विजय पाना है।
हम जीतेंगे ,
मिलकर हमने कोरोना को हराना।
©प्रीति शर्मा “असीम”, सोलन हिमाचल प्रदेश