लेखक की कलम से

नया साल, अंदाज पुराना और उत्सवधर्मिता ….

नए वर्ष के स्वागत के लिए तमाम लोग उत्साहित हैं और नववर्ष की पूर्व संध्या से लेकर नए साल के एक सप्ताह बल्कि एक महीने तक लोगों में नए साल के उपलक्ष्य में कोई न कोई कार्यक्रम, पिकनिक आदि होते ही रहतें हैं।

‘हैप्पी न्यू ईयर’, जुमलों का जुबानी आदान-प्रदान तथा सोशल साइट्स पर इसी प्रकार के ढेरों रस्मी शुभकामनाओं का अंबार दिखाई देगा। मेसेज बॉक्स फुल होंगे। लोग बिना देखे ही एक दूसरे को मैसेज ट्रांसफर करेंगे। एक होड़ सी मची रहेगी नए साल के संदेश भेजने का। इसमें भी आभासी दुनिया के लोग ही बाजी मार ले जाएंगे। हमारे ‘अपने’ तो इस संदेशों से भी अछूते रह जाएंगे। या दिन के किसी हिस्से में याद आएंगे तो बड़े बेमन से इन्हें भी एक संदेश या जबरन एक कॉल कर लिया जाएगा। आज रिश्ते निभाने इतने ही भारी होते जा रहे हैं। किन्तु आभासी दुनिया का बोझ बड़ा ही ‘स्लिम’ सा हल्का हो गया है।

नए साल के नाम पर पिकनिक, मौज- मस्ती, लाउड म्यूजिक, शराब, शोर- शराबा, आसपास उपस्थित स्त्रियों पर फूहड़ जुमलेबाजी, पार्टियां व उनमें मस्ती के नाम पर श्लीलता का उल्लंघन एक तरह से कई मामलों में अतिक्रमण ही नए साल के स्वागत का पर्याय बन गया है। यही कारण है कि कुछ पारिवारिक लोग नए साल के दिन घर से बाहर न निकलने का मन बना लेते हैं। स्त्रियां व लड़कियों को मन मारकर घर में ही रहना पड़ता है। यह कैसा नया साल है जहाँ एक की आज़ादी एवं उत्सवधर्मिता दूसरे की स्वतंत्रता के हनन पर टिका है। तो कुछ इस तरह से हम नववर्ष का अभिनन्दन करते हैं।

यह सब तो सालों से हम करते आ रहे हैं। फिर वही पुराने अंदाज़ लेकिन साल नया। क्यों न हम कुछ नए तरीके से नए साल का आगमन का स्वागत करें। जो रिश्ते कुछ सालों से हमारे सम्पर्क या सम्वाद के बिना मुरझा रहे हैं, उन्हें नए साल पर एक स्वस्थ सम्वाद से या उनके पास जाकर सींचे। अन्यत्र कहीं कोई उपहार ही भिजवा दें। या फिर अपने घर सम्बन्धियों और मित्रों को बुलाएं।

माना कि हम सबको अपनी -अपनी क्षमतानुसार विशेष मौकों पर अपने तरीके से खुशी प्रकट करने का अधिकार है। पर एक सामाजिक प्राणी होने के कारण हमारा कुछ सामाजिक दायित्व भी है। नववर्ष का आगमन कड़ाके की ठंड के साथ होता है। दुर्भाग्य से समाज में कुछ ऐसा तबका भी जिसे मौलिक सुविधाएं भी मुहैया न होती हैं। हम उनके बीच नववर्ष पर गर्म कपड़ें और उनके जरूरत की चीजें उनके बीच वितरित करें। इस सबके बाद उनके मुख पर उभरी खुशी को देख निश्चित ही हमें अतुलनीय प्रसन्नता प्राप्त होगी। मुझे लगता है आप सबको भी यह करके अवश्य ही ख़ुशी मिलेगी। तो क्यों न अभी करें।

 

 

©डॉ. उर्मिला शर्मा, हजारीबाग, झारखंड

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