लेखक की कलम से
खत….
मैं कागज़ पे हुस्न ए अमल लिख रही हूं
मैं तुम को मेरी जां कंवल लिख रही हूं
पढ़ने को मैं ने बहुत कुछ लिखा है
मगर तुमको मैं अब ग़ज़ल लिख रही हूं
मुहब्बत को अपनी छुपाया था मैने
मैं अब सारी बाते अस्ल लिख रही हूं
तोड़े न टूटेंगे ये रिश्ते नाते
मैं रिश्ता हमारा अटल लिख रही हूं
सुनो जिंदगी भर मेरा साथ देना
मैं दुनिया अभी से अजल लिख रही हूं
©खुशनुमा हयात, बुलंदशहर उत्तर प्रदेश