मध्य प्रदेश

महल और किला का अदृश्य झंडा, दिग्विजय के दांव से गुना में रोचक हुआ मुकाबला, सिंधिया के खिलाफ कांग्रेस ने रचा चक्रव्यूह

भोपाल
करीब सात दशकों से राजनीति के मैदान में जमे सिंधिया राजपरिवार के गढ़ ग्वालियर और गुना रहे हैं। पिछली सदी के नौवें दशक तक ग्वालियर पर विपक्षी दलों के हमले बढ़े तो गुना ही इस परिवार का प्रमुख गढ़ बन गया। वर्ष 2019 में इस गढ़ में लगी सेंध ने सिंधिया परिवार और विशेष तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के चेहरे की चमक फीकी कर दी थी। इस संसदीय क्षेत्र से कई विजयों के बाद उनकी पराजय हुई और इसने उनकी राजनीतिक धारा भी बदल दी। इस गढ़ को वापस पाने की छटपटाहट सिंधिया खेमे में नजर आ रही है।
 
महल और किला का अदृश्य झंडा
ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ परिवार चुनाव मैदान में उतर चुका है। इधर, कांग्रेस ने यादवेंद्र यादव के रूप में एक बार फिर यादव चेहरे को आगे करके वर्ष 2019 को याद दिलाने की कोशिश की है। सिंधिया विरोधी राजनीति वाले यादव परिवार के यादवेंद्र सामने हैं तो पीछे राघौगढ़ के जयवर्धन सिंह चुनाव की कमान संभाले हुए हैं। इस चुनावी महासमर में दोनों दलों के झंडे लेकर महल (ग्वालियर राजपरिवार) और किला (दिग्विजय सिंह की राजगढ़ रियासत) अपनी पुश्तैनी प्रतिद्वंद्विता का अदृश्य झंडा भी थामे हुए हैं। लक्ष्य एक ही है इस बार गुना का गढ़ कौन फतह करता है।

सिंधिया ने बदली रणनीति, जोड़ रहे सीधी कड़ी
गुना के मैदान से यूं तो सिंधिया परिवार दशकों से चुनाव लड़ रहा है लेकिन 2019 ने तस्वीर पूरी तरह बदल दी है। 19 में केपी यादव के सामने मिली हार से सबक लेकर सिंधिया फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। पहले जनता से संबंध में सेतू परिवार के खासमखास हुआ करते थे इस बार वे खुद एक-एक कार्यकर्ता और आमजन से सीधे बात करने की रणनीति पर चल रहे हैं। इधर उनकी पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया और बेटा महाआर्यमन भी जनता के बीच चुके हैं। प्रियदर्शिनी कभी किसी छोटी दुकान से समोसे खरीदकर खाती नजर आती हैं तो कभी बंजारों के पारंपरिक कपड़े और साफे की खरीदी करती वहीं महाआर्यमन भी कार्यकर्ताओं से बात कर रहे हैं। इस तर पूरा परिवार जनता से जुड़ने का हर वह उपक्रम कर रहा है जिससे महल और जनता के बीच दूरी कम से कम हो।

कांग्रेस की ओर से सेनापति बन जयवर्धन सिंह ने संभाली कमान

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से कमान दिग्विजय सिंह के पुत्र और राद्यौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह ने संभाली है। कांग्रेस प्रत्याशी राव यादवेंद्र यादव की पहचान मुंगावली और अशोकनगर में तो है लेकिन शिवपुरी अंतर्गत आने वाली विधानसभाओं के मतदाताओं और कांग्रेसी कार्यकर्ताओं, दोनों के लिए ही वे नया चेहरा हैं। ऐसे में लोकसभा क्षेत्र के प्रभारी बनाए गए जयर्वधन सिंह कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के प्रयासों में जुटे हैं। उनके पिता तीन दशक बाद राजगढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन जयवर्धन सिंह का अधिक समय गुना लोकसभा में बीत रहा है। शिवपुरी में उन्होंने ही वरिष्ठ कांग्रेसियों के साथ मिलकर चुनाव की रणनीति तय की है और कार्यकर्ताओं से संवाद कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान इस क्षेत्र में सक्रिय रहने का भी जयवर्धन सिंह काे लाभ मिल रहा है।

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