मध्य प्रदेश

ओंकारेश्वर में शंकराचार्य जी की प्रतिमा की स्थापना अगस्त माह में

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मंत्रि-परिषद की बैठक के पूर्व मंत्रीगण को संबोधित किया

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रालय सभाकक्ष में मंत्रि-परिषद की बैठक शुरू होने से पहले मंत्रीगण से कहा कि मध्यप्रदेश में सांस्कृतिक पुनर्जागरण के प्रयास किए जा रहे हैं। हमारी समृद्ध परंपराओं, संस्कृति की विशेषताओं और भारतीय दर्शन को नई पीढ़ी तक ले जाने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज आदि गुरू शंकराचार्य जी, रामानुजाचार्य जी के साथ ही सूरदास जी का भी प्राकट्य दिवस है। ये अद्भुत संत थे। शंकराचार्य जी ने रामेश्वरम से लेकर बद्रीनाथ तक उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक राष्ट्र को एक करने का कार्य किया। इस भाव से ही ओंकारेश्वर में एकात्म धाम का निर्माण किया जा रहा है। यहाँ आगामी 15 अगस्त तक शंकराचार्य जी की विशाल प्रतिमा भी स्थापित होगी। साथ ही अद्वैत संस्थान का निर्माण किया जाएगा। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि इसी श्रंखला में सागर में संत रविदास जी के मंदिर का निर्माण हो रहा है। जाम सावली हनुमान धाम, सलकनपुर में देवी लोक, दतिया में माँ पीतांबरा माई लोक, ओरछा में रामराजा लोक का निर्माण किया जा रहा है। संत-महात्माओं के साथ जनजातीय नायकों और क्रांतिकारियों के योगदान का स्मरण करते हुए उन्हें सम्मानित करने के लिए उनकी प्रतिमाओं की स्थापना विभिन्न स्थान पर की जा रही है।

राजा भभूत सिंह का योगदान रेखांकित होगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि सतपुड़ा क्षेत्र में देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने वाले राजा भभूत सिंह का योगदान भी सामने लाया जाएगा। कालगढ़ी का जीर्णोद्धार कार्य भी किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा सभी वर्गों के विकास के साथ सामाजिक समरसता को बढ़ाने के लिए कार्य किया जा रहा है। चाहे अनुसूचित जाति समाज हो या अनुसूचित जनजाति वर्ग, पिछड़ा वर्ग या सामान्य वर्ग, सभी के कल्याण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। ब्राह्मण बोर्ड के गठन, संस्कृत पढ़ने वाले विद्यार्थियों को प्रोत्साहन, मंदिरों की भूमि की सुरक्षा के संबंध में प्रावधान, पुजारियों के लिए मानदेय वृद्धि की पहल भी प्रदेश में हुई है। सभी वर्गों के कल्याण का कार्य किया जा रहा है। संघर्ष नहीं समन्वय के सिद्धांत पर जहाँ पेसा निमय लागू किया गया, वहीं महू और ग्वालियर में अंबेडकर महाकुंभ एवं सागर में रविदास जयंती के आयोजन हुए हैं।

भोपाल में भगवान परशुराम जयंती पर सभी वर्गों की भागीदारी सामाजिक समरसता का प्रतीक

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अनेक क्षेत्रों में प्रभावी पहल की गई है। हाल ही में भगवान परशुराम जी की जयंती पर भोपाल में सभी वर्गों के नागरिकों ने शोभायात्रा में भागीदारी की। नागरिकों को रामचरित मानस की प्रतियाँ दी गईं। भगवान परशुराम जी की जयंती सभी वर्गों का उत्सव बनी। ऐसे कार्यक्रम में व्यापक जन-भागीदारी सामाजिक समरसता का प्रतीक है। हम सभी मनुष्यों में एक ही चेतना व्याप्त है। वसुधैव कुटुंबकम का भाव भारत की प्रतिष्ठा विश्व में बढ़ा रहा है।

संस्कृति विभाग को बधाई

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने रीवा में सोमवार को हुए कार्यक्रम का भी उल्लेख किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शामिल हुए। विभिन्न विकास योजनाओं की शुरूआत के साथ ही कार्यक्रम में संस्कृति विभाग द्वारा प्रस्तुत नृत्य-नाटिका ‘धरती कहे पुकार के’ को देखने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी 10-15 मिनट अपने स्थान पर खड़े रहे। इस नृत्य-नाटिका में रासायनिक उर्वरकों से होने वाली क्षति के बारे में जानकारी देते हुए जन-जागृति के उद्देश्य से प्रभावशाली प्रस्तुति दी गई थी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस शानदार नाट्य प्रस्तुति के लिए संस्कृति विभाग को बधाई दी।

शंकराचार्य के जीवन में क्या है ओंकारेश्वर का महत्व

आदि गुरू शंकराचार्य 8 साल की उम्र में केरल से ओंकारेश्वर पहुंचे थे। जहां उन्होंने अपने  गुरू गोविंद भगवत पाद से दीक्षा ली। नर्मदा के किनारे जिस गुफा में उन्होंने शिक्षा ली, वह आज भी मौजूद है। और वहीं से उन्होंने आगे की यात्रा शुरू की और सनातन धर्म को नई राह दिखाई। उस समय न केवल उन्होंने सनातन धर्म में बढ़ रहे विभेद को दूर किया बल्कि आज भी उनके दिखाए रास्ते पर सनातन धर्म आगे बढ़ रहा है। उनके योगदान के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए जो काम बहुत पहले हो जाना था, वह अब किया जा रहा है। इसी महत्ता को देखते हुए ओंकारेश्वर में उनकी प्रतिमा के साथ-साथ कई अहम केंद्र बनाए जा रहे हैं।

108 फुट ऊंची मूर्ति बनेगी

योजना के तहत आदि गुरू शंकराचार्य  की 108 फुट ऊंची मूर्ति बनाई जाएगी। एक मल्टी मीडिया आधारित म्यूजियम बनाए जाएगा। जहां पर आचार्य शंकराचार्य की शिक्षाओं को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा लाइट एंड साउंड शो का भी आयोजन होगा।  जहां पर जगत गुरू शंकराचार्य की शिक्षाओं को साधारण भाषा में बच्चों से लेकर बड़ों को आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अलावा नर्मदा में एक नौका विहार केंद्र भी बनाया जाएगा। जिसमें अमरकंट से लेकर भरूच तक की यात्रा कराई जाएगी। साथ ही एक इंटरनेशनल सेंटर की स्थापना  की जाएगी। जहां रिसर्च और शिक्षा से लेकर दूसरे अहम काम किए जाएंगे। साथ ही आचार्य शंकर की शिक्षा को विभिन्न भाषाओं में प्रस्तुत किया जाएगा। आचार्य शंकर के 4 प्रमुख शिष्यों के नाम पर केंद्र भी बनाए जाएंगे। जहां पर मॉडर्न साइंस, सोशल साइंस, संगीत और कला पर रिसर्च किए जाएंगे

मुख्य बातें

  • आदि गुरू शंकराचार्य की मूर्ति को, स्टैच्यू ऑफ वननेस का नाम दिया गया है।
  • पूरी परियोजना पर 2000 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है।
  • हर रोज 50 हजार पर्यटक के आधार पर डिजाइन किया जा रहा है परिसर।
  • आदि गुरू शंकराचार्य 8 वर्ष की उम्र में ओंकारेश्वर आए थे। जहां पर उन्होंने अपने गुरू से शिक्षा ली थी।
  • एक बार में 5000 लोग लाइट एंड शो देख सकेंगे। साथ ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकेंगे
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