मध्य प्रदेश

भोपाल की जागृति यूपीएससी में देश में नंबर दो पर…

भोपाल। राजधानी भोपाल के लिए यह गौरव की बात है। यहां पली-बढ़ी जागृति अवस्थी ने यूपीएससी की परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की है. कोरोना काल में घर में पढ़ाई कर जागृति अवस्थी ने यूपीएससी में दूसरा स्थान हासिल किया है. बता दें कि यूपीएससी परीक्षा देने के लिए जागृति ने बीएचईएल की नौकरी को छोड़ दिया था. बता दें कि महिला उम्मीदवारों में जागृति अवस्थी ने टॉप किया है. ओवरॉल उन्होंने सेकेंड पोजिशन हासिल की है. उन्होंने वैकल्पिक विषय के रूप में समाजशास्त्र के साथ परीक्षा पास की है. वह मैनिट भोपाल से बी.टेक (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) में ग्रेजुएट हैं.

आईएएस बनने का ख्वाब देखने वाली जागृति ने बीएचईएल की नौकरी को छोड़कर प्रशासनिक अफसर बनने के लिए पढ़ाई की और मुकाम को हासिल कर लिया. यूपीएससी में दूसरा रैंक हासिल करने वाली जागृति अवस्थी ने कहा कि यूपीएससी में दूसरी रैंक हासिल करना उनके लिए खुशी की बात है. जागृति ने कहा यूपीएससी में सिलेक्शन के लिए उन्होंने बीएचईएल की नौकरी को छोड़ा था और परीक्षा पास करने के लिए पढ़ाई पर फोकस किया था.

 

जागृति ने 2019 में पहला अटेंप्ट किया था जुलाई 2019 से लेकर फरवरी 2020 तक 8 से 10 घंटे तक पढ़ाई पर फोकस किया और एग्जाम के ठीक 2 महीने पहले पढ़ाई का दायरा बढ़ा दिया. परीक्षा के ठीक पहले 10 से 12 घंटे तक पढ़ाई पर फोकस किया. हालांकि जागृति ने साफ किया कि उन्होंने कभी भी 16 -18 घंटे तक पढ़ाई नहीं की. शुरुआती दौर में कोचिंग लेने वाली जागृति ने कोरोना काल के दौरान सिर्फ घर पर रहकर पढ़ाई पर फोकस किया और ऑनलाइन क्लासेज के जरिए अपने बेस को मजबूत किया.

 

रूरल डेवलपमेंट और महिला विकास पर होगा फोकस

जागृति ने यूपीएससी में सिलेक्शन पर कहा है कि उनकी कोशिश होगी कि उनके काम से आम लोगों को ज्यादा से ज्यादा फायदा हो. जागृति अवस्थी ने कहा कि वह प्रशासनिक सेवा में रूरल डेवलपमेंट और महिलाओं के विकास के लिए काम करने पर फोकस करेंगी. जागृति ने उनके रिजल्ट के लिए उनके फैमिली मेंबर से मिले सहयोग को भी को भी कारण बताया है.

 

इधर, बैतूल में भी एक बेटे ने पूरा कर दिखाया मां का सपना

मां ने कहा बेटा तू कलेक्टर क्यों नहीं बन जाता. बस मां की बात ऐसी मन में बैठी कि होनहार बेटे ने ये सच कर दिखाया. वह यूपीएससी की परीक्षा में बैठा और पहली ही बार में सफल हो गया. बेटा अब कलेक्टर बनने की राह पर बढ़ चला है. हम बात कर रहे हैं पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट बैतूल के श्रेयांस सुराणा की जो शुक्रवार को आए यूपीएससी 2020 परीक्षा में भी सफल घोषित हुए हैं. श्रेयांस की 269वी रैंक आई है. श्रेयांस की मां का मन था कि उनका होनहार बेटा कलेक्टर बने.

उन्होंने एक दिन बातों-बातों में श्रेयांस से कहा, तुम कलेक्टर क्यों नहीं बन जाते. बेटे ने मां की बात मान ली और यूपीएससी की परीक्षा देने के लिए जो नौकरी कर रहा था, वो भी छोड़ दी औऱ यूपीएससी परीक्षा के लिए रात दिन एक कर दिया और ये श्रेयांस के ईमानदार प्रयास का ही फल है कि वह एक ही प्रयास में सफल हो गए. यह कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है. बैतूल के श्रेयांस सुराणा की जिसने महज 24 साल की उम्र में ही देश की सबसे प्रतिष्ठित यूपीएससी परीक्षा पास कर 269वां स्थान हासिल कर लिया. श्रेयांस इससे पहले भी एक ही प्रयास में सीए और सीएस जैसी परीक्षाएं भी पास कर चुके हैं लेकिन मां तो बेटे को कलेक्टर के पद पर बैठा देखना चाहती हैं.

 

पहली ही कोशिश में सीए और सीएस परीक्षा पास

देश की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षा यूपीएससी के नतीजे आते ही बैतूल जिले में भी खुशियां मनाई जा रही हैं. बैतूल के कर सलाहकार विमल सुराणा के बेटे और पेशे से चार्टेड अकाउंटेंट श्रेयांस सुराणा ने महज 24 साल की उम्र और पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली है. पिता बताते हैं कि श्रेयांस पढ़ाई के प्रति इतना जुनूनी है कि उसने इससे पहले एक ही कोशिश में सीए और सीएस की परीक्षा भी पास कर ली थी. श्रेयांस की मेहनत के कायल उसके घर ही नहीं बल्कि बाहर के लोग भी हैं.

 

यूपीएससी परीक्षा देने की दिलचस्प कहानी

श्रेयांस के यूपीएससी परीक्षा पास करने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है. श्रेयांस पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट है और वह अच्छी खासी नौकरी कर रहा था. लेकिन, एक दिन मां ने अखबार पढ़ते हुए श्रेयांस से कहा कि जब मजदूर के होनहार बच्चे भी कलेक्टर बन जाते हैं तो तुम इतने होनहार हो फिर एक बार कोशिश क्यों नहीं करते. श्रेयांस ने मां की बात फौरन मान ली और नौकरी छोड़कर यूपीएससी की पढ़ाई में जुट गया. केवल डेढ़ साल की मेहनत के बाद श्रेयांस ने आज ये मुकाम हासिल कर लिया .

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