मध्य प्रदेश

मंच पर थिरके शिवराज:कैलाश खेर ने गाया ‘जाना जोगी दे नाल नीं…’

उज्जैन। ‘महाकाल लोक’ के लोकार्पण के मौके पर हुए मुख्य समारोह में सूफी गायक पद्मश्री कैलाश ने ऐसा समां बांधा कि मुख्यमंत्री भी खुद को नहीं रोक सके। कैलाश ने जैसे ही अपने एल्बम कैलासा का गीत ‘जाना जोगी दे नाल नीं…’ गाना शुरू किया, वैसे ही मंच पर बैठे शिवराज परफॉर्मेंस दे रहे कैलाश खेर के पास पहुंचे और उनके साथ झूमने लगे।

कैलाश खेर ने प्रधानमंत्री के समक्ष महाकाल के स्तुतिगान जयश्री महाकाल… सुनाते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की। इस भक्ति गीत को कैलाश ने खुद ही रचा और कम्पोज किया है। इसमें महाकाल और उज्जयिनी का विस्तार से वर्णन है। महाकाल को समर्पित यह पहला आधिकारिक गान है। मोदी के जाने बाद मुख्यमंत्री प्रस्तुति के बीच में मंच पर पहुंचे तो कैलाश के संग वह भी शिव भजनों पर भक्ति रस में झूम उठे।

रात 7.45 बजे कार्तिक मेला ग्राउंड में प्रधानमंत्री की सभा शुरू हुई। सबसे पहले कैलाश खेर ने महाकाल स्तुतिगान ‘भारत मध्ये स्वयंभू ज्योतिर्लिंग, यजामहे…’ की प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि संगीत और अध्यात्म को साथ लाना सपना था। आज ये पूरा हो रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज हम सभी गदगद हैं। भारत अत्यंत प्राचीन व महान राष्ट्र है। 5 हजार साल से ज्यादा तो ज्ञात इतिहास है हमारा…। दुनिया के विकसित देशों में जब सभ्यता के सूर्य का उदय नहीं हुआ था, तब हमारे यहां वेदों की ऋचाएं रच दी गई थीं।

महाकाल की नगरी उज्जैन में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘महाकाल लोक’ का लोकार्पण किया। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण मध्यप्रदेश के 25 हजार से ज्यादा मंदिरों में किया गया। इस दौरान यहां सुबह से ही भजन-कीर्तन का दौर चलता रहा। भोपाल के 50 से ज्यादा मंदिरों में बड़े स्तर पर कार्यक्रम हुए। मंदिरों को हजारों दीपों से सजाया गया। न्यू मार्केट के खेड़ापति हनुमान मंदिर को 1100 दीपों से सजाया गया, साथ ही कर्फ्यू वाली माता मंदिर, बड़ वाले महादेव मंदिर समेत अन्य मंदिरों में भी उत्साह का माहौल दिखा।

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