मध्य प्रदेश

आदिवासी अपमान और महाकाल लोक भ्रष्टाचार पर सदन गर्माया

बिना चर्चा के ही पारित हो गए विधेयक और अनुपूरक बजट, पांच दिन का सत्र डेढ़ दिन में समाप्त, कुल चार घंटे चली कार्यवाही

भोपाल।  मध्यप्रदेश विधानसभा का पांच दिवसीय मानसून सत्र डेढ़ दिन में ही समाप्त हो गया। इस अवधि में भी सदन की कार्यवाही कुल चार घंटे ही चल पाई। सदन में विपक्ष दोनेां ही दिन सीधी पेशाब कांड सहित आदिवासी अत्याचार और महाकाल लोक भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को लेकर सरकार पर हावी रहा। विपक्ष इन मुद्दों पर सदन में चर्चा कराए जाने की मांग कर रहा था, लेकिन सरकार या आसंदी की ओर से कोई आश्वासन न मिलने पर सदन में विपक्षी सदस्यों द्वारा भारी शोरगुल करते हुए हंगामा की स्थिति बन गई। इस बीच दो बार सदन की कार्यवाही क्रमश:10 मिनट और आधे घंटे के लिए स्थगित करने के बाद आखिरकार विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।

इससे पहले बुधवार को सत्र के दूसरे दिन अनुपूरक बजट पेश हुआ। भारी हंगामे के बीच वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 26 हजार 816 करोड़ 63 लाख 87 हजार रुपए का अनुपूरक बजट पेश किया। इसके साथ ही हुक्का बार और तंबाकू से बने उत्पाद के विज्ञापन पर बैन के लिए संशोधित विधेयक पास हुआ। 15वीं विधानसभा का यह अंतिम सत्र था। सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने महाकाल लोक भ्रष्टाचार, आदिवासी अत्याचार, सतपुड़ा भवन की आग के मामले में जांच की मांग को लेकर जमकर नारेबाजी की। प्रश्र काल के दौरान सदन की कार्यवाही पहले 10 मिनट के लिए स्थगित हुई। इसके बाद जब पुन: सदन समवेत हुआ तो फिर विपक्षी सदस्य सीधी कांड सहित आदिवासी अत्याचार के मुद्दे पर सरकार पर हमलावर हो गए। इसके साथ ही महाकाल लोक घोटाले की जांच कराने की मांग भी सदन में जोरशोर से उठाई गई। विपक्ष जांच की मांग पर अड़ गया, इस बीच शोरगुल में कुछ सुनाई नहीं दिया। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने विभागीय मंत्रियों को विधेयक पेश करने की अनुमति दी, जिसके बाद चार मंत्रियों ने अपने अपने विभागों से संबंधित विधेयक पेश किए और भारी शोर गुल के बीच पारित भी हो गए। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा को अनुपूरक बजट पेश करने के लिए निर्देश दिए। आसंदी की अनुमति के बाद वित्तमंत्री देवड़ा ने अनुपूरक बजट पेश किया, जिसे सदन में चर्चा के बिना ही ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस बीच सदन में विपक्षी सदस्य लगातार जोरदार नारेबाजी करते रहे। हंगामे की स्थिति को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।

सदन स्थगित होने पर एक दूसरे पर लगाए आरोप

मानसून सत्र दूसरे दिन ही समाप्त होने के बाद सत्ता पक्ष व विपक्ष के लोगों ने एक दूसरे पर सत्र जल्द समाप्त कराने के आरोप लगाए। प्रदेश कांग्रेस कमेअी अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा, ये जनता की बात हमसे सुन लेते, लेकिन इन्हें परेशानी है। दबा दो, छिपा दो, इनके पास यही बचा है। सरकार आदिवासी अत्याचयार के मामलों पर गंभीर नहीं है। महेश्वर से कांग्रेस विधायक विजयलक्ष्मी साधौ ने कहा, सत्ता पक्ष अहंकार में है। विधानसभा सत्र चलना चाहिए। जनता ने हमें चुनकर भेजा है, हम तो अपनी आवाज उठाएंगे। ये सौदे की सरकार है, इसीलिए इसे किसी से कुछ लेना-देना नहीं है। संसदीय कार्यमंत्री व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, कांग्रेस ने सत्र हंगामे की भेंट चढ़ा दिया। हम चर्चा चाहते थे, ये भागना चाहते थे। शायरी में कहा- बदहवास हुए इस तरह से कांग्रेस के लोग, जो पेड़ खोखले थे उसी से लिपट गए।

हम स्थगन प्रस्ताव लाए, वे चर्चा से भाग गए

मुरैना से कांग्रेस विधायक राकेश मावई ने सदन के बाहर मीडिया से चर्चा में कहा, हमारे तीन बिंदु थे- महाकाल लोक, आदिवासी अत्याचार, सतपुड़ा भवन की आग। हम इन पर चर्चा चाह रहे थे। स्थगन प्रस्ताव लाए, लेकिन सरकार चर्चा से भाग गई और सदन स्थगित कर दिया।

नेशनल पार्क कर्मचारियों के भत्ते की मांग उठाई

सदन में बिछिया से कांग्रेस विधायक नारायण सिंह पट्टा ने कान्हा नेशनल पार्क के कर्मचारियों को विशेष भत्ता देने की मांग उठाई। विधायक ने कहा- विभागीय मंत्री ने भी यह बात स्वीकार की है कि पार्क आंशिक रूप से नक्सल प्रभावित है। वे बोले- पुलिस विभाग के कर्मचारियों को विशेष भत्ता मिलता है तो वन कर्मियों को भी मिलना चाहिए। विधायक बोले- गांव में कोटवार को मात्र 500-600 रु. ही मिलते हैं। इतने में 3-4 किलो टमाटर ही आ पाते हैं। मानदेय बढ़ाएं। प्रश्नकाल समाप्त होने पर विपक्ष ने नारेबाजी की। कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गई।

भिंड विधायक से कहा – माफी मांगकर वापस बसपा में चले जाओ

सदन में भिंड से भाजपा विधायक संजीव सिंह कुशवाह ने अवैध तरीके से रेत जमा करने वालों पर कार्रवाई न होने का मामला उठाया। कुशवाहा ने कहा- रेत के अवैध परिवहन में ड्राइवर और गाड़ी मालिक को जेल जाना पड़ता है। जमा करने वालों पर एफआईआर नहीं होती। इस पर खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने कहा- मामला कलेक्टर न्यायालय में है। वहां निर्णय के बाद तय होगा कि क्या कार्रवाई हुई, या नहीं। कुशवाहा ने कहा- बडी मछलियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? मंत्री इसका जवाब दें। कांग्रेस विधायकों ने खनिज मंत्री पर मध्यप्रदेश में अवैध उत्खनन रोकने में नाकाम होने का आरोप लगाया। खिलचीपुर से कांग्रेस विधायक प्रियव्रत सिंह ने कुशवाहा से कहा- आपकी कोई नहीं सुनने वाला। कुशवाहा से सिंह ने कहा- आप तो माफी मांग कर वापस बसपा में चले जाओ। आपके तो कॉलेज का भी खेल हो गया।

आदिवासियों की जमीन का अधिग्रहण रद्द हो

दूसरा सवाल कांग्रेस से मनावर (धार) विधायक हीरालाल अलावा ने छिंदवाड़ा सिंचाई परियोजना से जुड़ा हुआ उठाया। अलावा ने कहा- आदिवासियों के साथ मध्यप्रदेश में बर्बरता की जा रही है। सिंचाई कॉम्प्लेक्स योजना के तहत जुन्नारदेव तहसील के आदिवासियों की जमीन अधिग्रहण को रद्द करने के संबंध में पूछा। जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा- पेसा नियमों के तहत आदिवासियों की जमीन का अधिग्रहण और विस्थापन किया जाएगा। मंत्री ने कहा- पेसा कानून मध्यप्रदेश की सरकार ने बनाया और उसे लागू किया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा- ऐसा कानून कांग्रेस की सरकार ने बनाया था, अपना ज्ञानवर्धन कर लें। वन मंत्री ने कहा अधिकारियों पर 15 दिन में कार्रवाई करेंगे।

महाकाल की फोटो लेकर आए परमार

तराना (उज्जैन) से कांग्रेस विधायक महेश परमार भगवान महाकाल की फोटो लेकर विधानसभा पहुंचे। उनकी मांग थी कि महाकाल लोक निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की जांच की जाए, परमार ने मीडिया से चर्चा में कहा कि उन्होंने महाकाल लोक निर्माण के समय ही भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। लेकिन भाजपा की सरकार घोटालों की सरकार है, इन्होंने भगवान को भी नहीं छोड़ा। हम इस पर चर्चा करना चाहते थे, लेकिन सदन स्थगित कर दिया।

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