लेखक की कलम से

हिंदी भाषा की धूमिल होती छवि

हम लोग तेजी से आधुनिक युग की ओर बड़ रहे हैं। इस आधुनिकता की आंधी मे हमारे रहने का तरीका,खाने-पीने का तरीका सब बदलता जा रहा है।सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हमारी भाषा।

हम लोग हिंदी भाषा को छोड़कर अंग्रेज़ी भाषा को अपनाते जा रहे है।अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम मे पड़ाते है।हम लोगों को डर रहता है अगर बच्चे अंग्रेज़ी नही पड़ेंगे तो प्रतियोगिताओ मे सफल नही हो पायेंगे उनका भविष्य नही बन पायेगा।ऐसे मे हिंदी भाषा पिछड़ती हुई प्रतीत हो रही है।

अब हिन्दुस्तान मे मल्टीनेशनल कंपनियों का बोल बाला है।जहाँ ऑफ़िस में सिर्फ अंग्रेज़ी मे ही काम होता है।ऐसे में हिंदी भाषा संकुचित होती दिखायी देती है।

पड़ी लिखी महिलाये अपने नये बच्चे से जो कुछ समझ भी नही पाता है, उससे इंग्लिश मे ही बात करना पसंद करती है।यहाँ तक जो महिलाये पड़ी-लिखी नही है वो भी यस और नो समझने लगी है और बोलने लगी है।

ऐसे मे क्या नही लगता कि वक़्त है हिंदी भाषा को बड़ावा देना चाहिये।

अगर हम “i love you ”
की जगह “मै प्यार करती हूँ य करता हूँ “कहे तो भी तो भाव पूरे होंगे।
बहुत से समाज मे ऐसे उदाहरण है जो हिंदी भाषा मे पड़कर उच्च स्थान पे बैठे है।

हमे हिंदी भाषा के बारे मे बिचार करना चाहिये।हर जगह इसका प्रयोग करना चाहिए।आइये हिंदी भाषा पर जोर दे।उसे ऊपर उठायें।हिंदी भाषा मे जो भाव है वो किसी और भाषा मे नही।

” हिन्दू है हिन्दुस्तान है हमारा
हिंदी भाषा गर्व है हमारा”

©झरना माथुर, देहरादून, उत्तराखंड 

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