लेखक की कलम से

चैत नवरात्रे आये हैं …

-: चैत्र नवरात्र पर मां को समर्पित:-

 

 

मैया का मंदिर जगमग है,

मैया का गहना चमकत है,

मैया के नयना डोले है,

सजल, नयन, सृष्टि से बोले हैं।

शिव-शंभु, गौरी मुस्काये हैं,

 

मैया के दर्शन कर लो रे,

चैत नवरात्र आये हैं, चैत नवरात्र आये हैं…।

 

21 दिन हम सब मिल लाकडाउन कर लें,

घर-घर, आंगन-बगिया फूल खिलें,

शेरावाली के पुजारी अरज करें,

कोरोना-संक्रमण, हरण का जतन कर लें,

यह कह सब ने ढोल बजाये हैं,

 

 मैया के दर्शन कर लो रे,

 चैत नवरात्र आये हैं, चैत नवरात्र आये हैं…।

 

डाक्टरों, नर्सों के कदम अब थिरकत हैं,

मैया की भी बिंदिया चमकत है,

सफाई-कर्मचारियों के तन-मन बाजै है,

शैलपुत्री की पैजानिया बाजै है

पुलिस वालों कदमताल मिलाये हैं,

 

 मैया के दर्शन कर लो रे,

 चैत नवरात्र आये हैं, चैत नवरात्र आये हैं…।

 

 

जगदम्बे की सवारी शेरा है,

कोरोना-संक्रमण मिटाने डाला डेरा है,

हमने भी हृदय से उन्हें पुकारा है,

कमलारानी का चेहरा प्यारा है,

वानर दल भी साथ में आये हैं,

 

मैया के दर्शन कर लो रे,

चैत नवरात्र आये हैं, चैत नवरात्र आये हैं…।

 

 

प्रधानमंत्री की कोशिश जारी है,

दुखहरणी, चिंताकरणी भी साथ हमारी हैं,

संक्रमण-साईकिल का समूल मिटायेंगे,

पारी-पारी, हम-सबकी, बारी है,

अमुआ पर कोयलिया बोली है,

सैनिटाइजर, मास्क संग रख ली है

भक्तों ने भी द्वीप जलाये हैं,

 

मैया के दर्शन कर लो रे,

चैत नवरात्र आये हैं, चैत नवरात्र आये हैं…।

 

-:प्रार्थना:-

 

उठो मां जगदम्बा शेरावाली,

विराट रूप दिखाओ

नष्ट करो कोरोना महमारी,

सृष्टि को बचाओ…।

 

महमारी का कहर बढ़ा,

विश्व है कांप रहा,

सुना है सब गाव गली शहर,

सृष्टि विरान मां हो रहा…।

 

सारी दुनिया शमशान सा,

घर पर सब घुसे है,

घर से कोई निकाल ना पाए,

सभी जगह सन्नाटे है…।

 

नवरात्र का त्योहार मां,

कैसे हम मनाए,

मन से फूल चढ़ाकर,

सिंदूर तिलक लगाए…।

 

सृष्टि का हर जगह सुना,

मां कहां सेवा बजाए,

कर्फ्यू लगा हर जगह,

हम घर को मंदिर बनाए…।

 

प्रार्थना है हमारी मां,

रूप लेलो शेरावाली का,

करदो कोरोना महामारी से मुक्ति,

जग में माहौल बने खुशहाली का…।

 

नवरात्रि के शुभ दिन मां,

बंद है मंदिरों के पट सारे

कैसा ये दिन आया मां,

सब द्वार खड़े तेरी राह निहारे…।

 

-:विनती:-

 

मैया अबकी नवरातें में कष्ट पड़े हैं भारी।

पूरे जग को पीड़ा देती कोरोना महामारी।

 

बालक, वृद्ध, जवान सभी जन बहुत हताश हुए हैं।

खिले सदा जो रहते थे चेहरें उदास हुए हैं।

 

कर जोड़ विनती हैं मैया कृपा दृष्टि अब डालों।

साहस टूट रहा हैं सबका आकर स्वयं सम्भालो।

 

जैसे असुर हने मैया वैसे कोरोना मारो।

नैया डूब रही हैं सबकी आकर पार उतारो।

 

कोई हल नहीं दिखता लाख कोशिशें हो रहीं हैं।

इससे उबरनें की सब उम्मीदें भी खो रही हैं।

 

जगद्जननी हे! माता अब तो इसका संहार करो।

ज्यामितीय बढ़ती महामारी पर वज्र प्रहार करो।

 

-:मां का ध्यान:-

 

रहकर घर पर कीजिये, मां अम्बे का ध्यान।

मिटे कोरोना वायरस, बच जाएगी जान।।

 

बच जाएगी जान, निरोगी काया होगी।

पुनः बढ़ेगा मान, मातु की माया होगी।।

 

करती विनय रीमा, न जाना और कहीं पर।

मां दुर्गे का ध्यान, करें सब घर पर रहकर।।

©रीमा मिश्रा, आसनसोल (पश्चिम बंगाल)

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