लेखक की कलम से

युगपरिवर्तन …

क्या माने इसे युगपरिवर्तन

 या माने कोई शाप बड़ा।

या माने इसे कोप प्राकृति

या कोई है चाल बड़ा।।

चारों तरफ हाहाकार मचा है

 लील रहा है जनमानस को काल।

कहते हैं ये असर कोरोना

 लील रहा जनमानस को आज।।

गर्व किया विज्ञान पर हमने

 कहकर उसे दकियानूसी बात।

आज जब काल ने घेरा

तब कर रहे काढ़े की बात।।

कहाँ पता था उड़ते उड़ते 

पहुँच जाएंगे एक ऊँचाई खास।

फिर उस ऊँचाई पर

 स्वछ हवा की होगी दरकार।।

उथल पुथल मचा है जैसे

 मानो आया एक तूफान।

चारों तरफ मचा हुआ है

 अफरातफरी और तूफान।।

युग परिवर्तन का संकेत मात्र है

 या फिर सच में आया महाकाल?

महाप्रलय का आगाज हुआ है

त्रस्त है पूरा संसार।।

क्या विष्णु स्वयं अवतरित हो रहे

 इस जनमानस को बचाने आप ?

या जग बस डूब रहा है

 अथाह सागर के गहराई में आज??

पता नहीं कल रहूँ उपस्थित

 बताने को ये करुण पुकार।

पर ये सृस्टि आपकी रचना

इसे बचना आपका अधिकार।।

जब जब धरा पर संकट आया

खड़ा मिले तुम खेवनहार।

अब चाहे जो रूप धरो तुम

जल्दी आओ अबकी बार।।

©कमलेशझा, फरीदाबाद                       

Back to top button