आयुष्मान भारत योजना के 627 अस्पतालों में अनियमितता के कारण प्रदेश के 422 अस्पताल निलंबित
प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा और प्रवक्ता अमिताभ अग्निहोत्री ने पत्रकार वार्ता में लगाए आरोप
भोपाल। मप्र कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके. मिश्रा और प्रवक्ता अमिताभ अग्निहोत्री ने पत्रकार वार्ता में प्रदेश सरकार और अधिकारियों पर अनेक आरोप लगाए। नेताद्वय ने कहा कि मप्र में भाजपा शासन के संरक्षण में चिकित्सा के क्षेत्र में अरबों रूपये का ‘आयुष्मान भारत योजना’ में घोटाला हो रहा है। आयुष्मान पोर्टल के अनुसार प्रदेश में 627 आयुष्मान निजी अस्पतालों में से अनियमितता के कारण 422 आयुष्मान अस्पतालों को निलम्बित किया जा चुका है, जबकि प्रदेश सरकार ने विधानसभा में अनियमितता करने वाले मात्र 154 अस्पतालों की सूची दी है। अनियमितता करने वाले अस्पतालों एवं अनियमितता को संरक्षण देने वाले अधिकारियों, नेताओं पर सरकार ने एफआईआर दर्ज क्यों नहीं करायी है? इससे आशंका है कि इस अरबों रूपये के घोटाले को मप्र सरकार पूर्ण संरक्षण दे रही है।
उन्होंने तथ्यों के साथ जानकारी देते हुए बताया कि सरकार ने 6 दिसंबर 2022 आयुष्मान योजनान्तर्गत मप्र में 506 निजी चिकित्सालय होने की जानकारी दी हैं। उपरोक्त दिनांक तक 51 जिलों में 5,16,589 मरीजों को इलाज में 16 अरब 10 करोड़ 32 लाख 40 हजार 343 खर्च किये। शासन ने स्वीकार किया कि 154 आयुष्मान चिकित्सालयों में अनियमितता पाई थी, जिस पर कार्यवाही की। उन्होंने कहा कि मामूली कार्यवाही की गई है। शासन के सदन में दिये गये उत्तर से प्रश्न यह उठता है कि मात्र 1 अस्पताल पर एफआईआर दर्ज की गई है, शेष 153 अस्तपालों पर एफआईआर क्यों नहीं की गई? वहीं, विधायक जयवर्धन सिंह ने सीएम को 22 दिसंबर 2022 को लिखे पत्र में कहा कि विधानसभा में शासन ने जो जानकारी रखी है, उसमें भोपाल जिले में पब्लिक चिकित्सालय 2, प्राइवेट नॉट फॉर प्रॉफिट 3, प्राइवेट फॉर प्रॉफिट 109, कुल 114 अस्पताल बताये हैं। जबकि आयुष्मान पोर्टल पर भोपाल जिले में पब्लिक चिकित्सालय 14, प्रायवेट नॉट फॉर प्रॉफिट अस्पताल 22 और प्राइवेट फॉर प्रॉफिट 177, कुल 213 अस्पताल बताये गये हैं। विधानसभा में दी गई जानकारी एवं आयुष्मान पोर्टल की जानकारी में भिन्न क्यों है? उन्होंने आरोप लगाए कि कई आईएएस अधिकारियों के कार्यकाल में आयुष्मान अस्पतालों को करोड़ों रूपयों का भुगतान हुआ, जिन अधिकारियों के कार्यकाल में गड़बड़ी हुई, उनके नाम इस प्रकार हैं-पल्लवी जैन गोविल-प्रमुख सचिव, मोहम्मद सुलेमान-अपर मुख्य सचिव, प्रतीक हजेला- आयुक्त, संजय गोयल-प्रमुख सचिव, आकाष त्रिपाठी-आयुक्त, सुदाम खेड़े- आयुक्त, जे. विजय कुमार-सीईओ, अनुराग चौधरी-सीईओ, सपना लोवंशी- कार्यकारी अधिकारी। उन्होंने मांग की है कि अरबों रूपये के घोटाले पर चिकित्सा माफिया, दोषी अधिकारियों एवं नेताओं पर सरकार 7 दिवस में एफआईआर दर्ज कराकर गरीब जनता के साथ न्याय करे।