नई दिल्ली

कांग्रेस के उदित राज के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर फिर बिगड़े बोल- पद पाकर गूंगे-बहरे हुए …

नई दिल्ली। उदित राज ने लिखा, ‘द्रौपदी मुर्मू जी से कोई दुबे, तिवारी, अग्रवाल, गोयल, राजपूत मेरे जैसा सवाल करता तो पद की गरिमा गिरती। हम दलित – आदिवासी आलोचना करेगें और इनके लिए लड़ेंगे भी। हमारे प्रतिनिधि बनकर जाते हैं फिर गूंगे-बहरे बन जाते हैं। भाजपा ने मेरा सम्मान किया,जब एससी/एसटी की बात की तो बुरा हो गया।’ एक और ट्वीट में उदित राज ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति के तौर पर पूरा सम्मान है। वह दलित-आदिवासी की प्रतिनिधि भी हैं और इन्हें आधिकार है कि वे अपने हिस्से का सवाल करें। इसे राष्ट्रपति पद से न जोड़ा जाए।’

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर बयान देकर घिरे कांग्रेस नेता उदित राज अब भी मानने को तैयार नहीं हैं। भाजपा की ओर से तीखा हमला किए जाने और अपनी ही पार्टी के पल्ला झाड़ने के बाद उदित राज ने एक सफाई वाला ट्वीट किया था, लेकिन फिर से वह पुराने तेवर में ही लौट आए हैं। उदित राज ने पहले द्रौपदी मुर्मू पर चमचागिरी करने का आरोप लगाया था, जिस पर घिर गए थे। अब उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर पद पाकर गूंगा और बहरा बन जाने जैसी आपत्तिजनक टिप्पणी की है। वहीं यह भी कहा है कि द्रौपदी मुर्मू से सवाल पूछना हमारा अधिकार है क्योंकि हम उसी समाज से आते हैं, जिसकी वह प्रतिनिधि हैं।

हालांकि इसके साथ ही उदित राज ने अपने बयान को कांग्रेस से अलग बताने की भी कोशिश की है। उदित राज ने कहा कि मेरा बयान द्रोपदी मुर्मू जी के लिए निजी है, कांग्रेस पार्टी का नहीं है। भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए उदित राज ने कहा कि मुर्मू जी को उम्मीदवार बनाया व वोट मांगा आदिवासी के नाम से। राष्ट्रपति बनने से क्या आदिवासी नहीं रहीं? देश की राष्ट्रपति हैं तो आदिवासी की प्रतिनिधि भी। रोना आता है जब एससी/एसटी के नाम से पद पर जाते हैं फिर चुप हो जाते हैं। इस तरह उदित राज ने संकेत दे दिए हैं कि वह बैकफुट पर नहीं जाने वाले। लेकिन उनके रवैये ने कांग्रेस की मुश्किलों में जरूर इजाफा कर दिया है।

उदित राज ने पात्रा को भी जवाब देते हुए एक ट्वीट किया है। उदित राज ने लिखा, ‘मैंने द्रौपदी मुर्मू से एससी-एसटी के नेता सवाल पूछा है, जो आप नहीं कर सकते। यह हमारे बीच का मामला है। डॉ. अंबेडकर हमेशा यह चिंता जताते थे कि एससी-एसटी वर्ग के लोग प्रतिनिधि बनकर गूंगे बहरे हो सकते हैं। यह साबित हो रहा है। भाजपा ने मेरा तब तक सम्मान किया था, जब तक मैंने एससी-एसटी के मुद्दे नहीं उठाए। आपने डमी नेताओं के नाम पर हमारे वोटों की लूट की है।’

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