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भाजपा का बुलडोजर मॉडल उत्तराखंड में पूरी तरह फेल, अंकिता केस में वनंतरा रिजॉर्ट पर लोग उठा रहे सवाल ….

देहरादून। अंकिता भंडारी मर्डस की जांच में जुटी एसआईटी को अहम सुराग मिले हैं। पुलकित आर्य के जिस वनंतरा रिजॉर्ट में अंकिता रिस्पेशनिस्ट का काम कर रह थी, वह पूरी तरह से अवैध है। रिजॉर्ट कां संचालित करने के लिए आर्य द्वारा संबंधित विभाग से किसी भी प्रकार से कोई अनुमति नहीं ली गई थी।

एसआईटी प्रभारी पी रेणुका देवी ने बताया कि जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि वनंतरा रिजॉर्ट को उत्तराखंड टूरिज्म के नियमों के तहत पंजीकृत नहीं किया गया है। रिजॉर्ट से संबंधित दस्तावेजों को खंगालने पर यह बात भी सामने आई है कि रिजॉर्ट के लिए ‘एनओसी’ भी नहीं ली गई है।

डीआईजी देवी ने बताया कि कोर्ट में अर्जी दाखिल की है कि अंकिता हत्याकांड का मामला फास्ट ट्रायल कोर्ट में चलाया जाए। मामले को गंभीर मानते हुए संबंधित विभाग को कार्रवाई करने के बाद एसआईटी को भी सूचित करने को कहा गया है।

एसआईटी द्वारा अंकिता भंडारी केस से जुड़े सभी इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को केंद्रीय फॉरेंसिक लैब (सीएफएसएल) चंडीगढ़ भेजा गया है। वहां भेजे गए साक्ष्यों में ऑडियो, वीडियो, मोबाइल स्क्रीन शॉट और सीसीटीवी फुटेज शामिल हैं। डीएनए और विसरा की जांच स्थानीय फॉरेंसिक लैब में ही की जाएगी।

अंकिता हत्याकांड की 24 सितंबर से एसआईटी जांच कर रही है। इस मामले में कई ऑडियो रिकॉडिंग, वीडियो और मोबाइलों में बातचीत के स्क्रीन शॉट वायरल हुए थे। पुलिस सूत्रों की बात मानें तो रिपोर्ट के आधार पर एसआईटी चार्जशीट दाखिल करेगी।  एसआईटी ने सीएफएसएल से भी अनुरोध किया है कि कि जल्द से जल्द जांच पूरी कर रिपोर्ट उत्तराखंड पुलिस को दें।

अंकिता हत्याकांड के आरोपी पुलकित आर्य के रिजार्ट पर बुलडोजर चलाने के फैसले की तारीफों के बीच एक बड़ा वर्ग आशंकित भी है। रात के वक्त रिजार्ट में बुलडोजर से ध्वस्तीकरण को सुबूतों को नष्ट करने की साजिश भी बताया जा रहा है। वनंतरा रिजॉर्ट पर आधी रात को बुलडोजर चलाने को लेकर शुरू से ही सवाल उठे हैं।

विपक्षी कांग्रेस, किसान नेता राकेश टिकैत सहिता अंकिता को न्याय दिलाने के लिए खड़े हुए प्रदर्शनकारियों ने भी बुलडोजर एक्शन पर सवाल खड़े किए थे। आरोप लगाया गया था धामी सरकार ने अंकिता से जुड़े सभी साक्ष्यों को एकत्रित करने से पहले ही रातोंरात रिजॉर्ट पर बुलडोजर चला दिया था।

लेकिन, जांच के लिए गठित एसआईटी ने दावा किया था कि सभी सबूतों को इक्ट्ठा कर लिया गया है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी धामी सरकार से सवाल किया था कि आखिर ऐसे क्या जरूरत आ पड़ी थी कि रिजॉर्ट पर रातोंरात बुलडोजर एक्शन हुआ? रावत का कहना था कि अंकिता को नहर में फेंक दिए जाने की चर्चा शुरू होने के बाद भी स्थानीय पटवारी को छुट्टी क्यों दी गई थी?

हरीश रावत ने पूछा था कि अपराध के साक्ष्य स्थल पर बुलडोजर चलवाने और लोगों को आग लगाने के लिए उकसाने के पीछे कौन है और यह कृत्य किसके हाथों से हुआ? दूसरी तरफ महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष ज्योति रौतेला ने भी रिजार्ट पर बुलडोजर चलाए को गलत माना।

कहा कि सुबूतों की फारेंसिक जांच से पहले बुलडोजर से ध्वतीकरण करना सुबूतों को नष्ट करने जैसा है। ज्योति ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है तथा बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली भाजपा सरकार में महिलाओं पर अत्याचार की घटनायें लगातार बढ़ती जा रही हैं।

अंकिता हत्याकांड में गिरफ्तार पुलकित आर्य सहित तीनों हत्यारोपियों को पुलिस कस्टडी के बजाए ज्यूडिशियल कस्टडी भेजने पर भी सवाल खड़े हुए थे।  लेकिन, मामला बढ़ने के बाद एसआईटी को पुलिस कस्टडी भी मिली थी। इससे पहले वकीलों ने अंकिता के हत्यारोपियों का केस लड़ने से मना कर दिया था।

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