मध्य प्रदेश

भोपाल की भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने एक बार फिर दिया विवादित बयान, राजनीति गरमाई

धर्मांतरण और लव जिहाद पर भाजपा सांसद बोलीं- हिंदू अपने घरों में चाकू को रखें धारदार, जिहाद के खिलाफ जवाब देने सब रहें तैयार

भोपाल। अपने विवादास्पद बयानों से हमेशा सुर्खियों में रहने वाली भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर एक बार फिर चर्चाओं में आ गई हैं। अब उन्होंने लव जिहाद और धर्मांतरण को लेकर कर्नाटक में एक हिन्दू कार्यकर्ता की हत्या का जिक्र करते हुए हमला बोला है। उन्होंने कहा कि हिन्दुओं को उन पर और उनकी गरिमा पर हमला करने वालों को जवाब देने का अधिकार है। सभी हिंदू अपने घरों में चाकुओं को धारदार रखें। प्रज्ञा ठाकुर के इस बयान के बाद एक बार फिर राजनीति गर्मा गई है।
प्रज्ञा सिंह कर्नाटक हिन्दू जागरण वेदिका के दक्षिण क्षेत्र के वार्षिक समारोह में शामिल होने आई थीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि हिन्दुओं को अपने घरों में धारदार हथियार रखना चाहिए। उन्होंने लव जिहाद को लेकर कहा कि उनकी जिहाद की परंपरा है। यदि कुछ नहीं है, तो लव जिहाद करते हैं। यदि वे प्रेम भी करते हैं तो उसमें भी जिहाद करते हैं। हम भी प्रेम करते हैं, हम भगवान से प्रेम करते हैं, संन्यासी अपने प्रभु से प्रेम करते हैं। उन्होंने कहा कि संन्यासी कहते हैं कि ईश्वर की बनाई गई इस दुनिया में सभी अत्याचारियों और पापियों का अंत करो, अन्यथा प्रेम की सच्ची परिभाषा यहां नहीं बचेगी। जिहाद में शामिल लोगों को उसी तरह जवाब दो। अपनी बेटियों की रक्षा करो, उन्हें सुरक्षित रखो, उन्हें सही मूल्य सिखाओ, संस्कारित रखो।
उन्होंने यह भी कहा कि लव जिहाद करने वालों को लव जिहाद जैसा ही उत्तर दो। घर में हथियार रखो, नहीं है तो सब्जी काटने वाले चाकू की ही धार तेज रखो। चाकू से ही हमारी हर्षा को गोदा था। हमारे हिन्दू वीरों, भाजपा के कार्यकर्ताओं को काटा, गोदा है, तो हम भी सब्जी काटने वाले चाकुओं को तेज रख लें, पता नहीं कब कैसा मौका आए। चाकू में अच्छी धार होने से हमारी सब्जी अच्छे से कटेगी तो दुश्मनों के मुंह और सिर भी अच्छे से कटेंगे।
धर्मांतरण पर यह बोलीं साध्वी प्रज्ञा सिंह
साध्वी प्रज्ञा सिंह ने धर्मांतरण को लेकर भी तीखा हमला किया। उन्होंने लोगों से कहा कि वे अपने बच्चों को मिशनरी संस्थानों में नहीं पढ़ाएं। ऐसा करके आप अपने लिए वृद्धाश्रमों के द्वार ही खोलेंगे। प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि मिशनरी संस्थानों में बच्चों को पढ़ाकर बच्चे आपके और आपकी संस्कृति के नहीं रहेंगे। वे वृद्धाश्रमों की संस्कृति में पलेंगे-बढ़ेंगे और स्वार्थी बन जाएंगे।

Back to top button