मध्य प्रदेश

नगर निगम सतना के घूसखोर पूर्व कमिश्नर को 5 साल की जेल और 1 लाख का जुर्माना

निजी अस्पताल न गिराने के एवज में 12 लाख की रिश्वत लेते किया गया था गिरफ्तार

। डॉक्टर से 50 लाख रुपए रिश्वत मांगने और 12 लाख रुपए लेते लोकायुक्त द्वारा पकड़े गए सतना के तत्कालीन नगर निगम आयुक्त सुरेंद्र कुमार कथुरिया को कोर्ट ने दोषी करार दिया है। सतना की स्पेशल कोर्ट द्वारा सोमवार को दिए निर्णय में उसे 5 वर्ष का सश्रम कारावास और एक लाख रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया है। लोकायुक्त द्वारा की गई कार्रवाई के बाद उसे निलंबित कर दिया गया था। वर्तमान में वह संचालक नगरीय विकास विभाग भोपाल कार्यालय में अटैच है। सजा सुनाए जाने के बाद उसे सेंट्रल जेल सतना भेज दिया गया।

सिटी हॉस्पिटल न गिराने के एवज में संचालक से मांगी थी 50 लाख की रिश्वत

अभियोजन प्रवक्ता हरिकृष्ण त्रिपाठी ने बताया कि आरोपी सुरेंद्र कुमार कथूरिया पिता सत्यनारायण कथूरिया  (46 वर्ष) मूल निवासी शक्ती जिला जांजगीर चांपा (छत्तीसगढ़) को विगत 20 जून 2017 को शिकायतकर्ता भरहुत नगर स्थित सिटी हॉस्पिटल के संचालक डॉ. राजकुमार अग्रवाल ने सुरेन्द्र कथूरिया आयुक्त नगर निगम सतना द्वारा 50 लाख रुपए रिश्वत की मांग करने के संबंध में लोकायुक्त एसपी को लिखित शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया था कि भरहुत नगर स्थित सिटी हॉस्पिटल न गिराने के एवज में सुरेन्द्र कुमार कथूरिया उससे 50 लाख रुपए की मांग कर रहे हैं। इस पर लोकायुक्त एसपी रीवा द्वारा डीएसपी देवेश पाठक को उक्त शिकायत के सत्यापन के निर्देश दिए गए थे। सत्यापन के दौरान रिश्वत संबंधी गोपनीय बातचीत डिजिटल वाइस रिकार्डर में रिकार्ड होने पर एवं शिकायत सही पाये जाने पर लोकायुक्त टीम रीवा द्वारा योजना बनाकर 26 जून 2017 को तत्कालीन उपपुलिस अधीक्षक देवेश पाठक के नेतृत्व में ट्रेप कार्रवाई की गई थी। रिश्वत में देने के लिए डॉ. राजकुमार अग्रवाल 12 लाख रुपए एवं चांदी के तीन टुकड़े जिस पर सोने का पानी चढा था (गोल्ड प्लेटेड सिल्वर) लोकायुक्त कार्यालय लेकर आया, जहां उस पर केमिकल लगाकर डॉक्टर अग्रवाल को दिया गया। ट्रेप दल सतना पहुंचा और डॉ. अग्रवाल को आरोपी सुरेन्द्र कुमार कथूरिया से मिलने एवं रिश्वत लेकर उसके शासकीय निवास पर भेजा गया। जहां पर आरोपी ने डॉक्टर अग्रवाल से 12 लाख रुपए नकद एवं चांदी के तीन टुकड़े जिस पर सोने का पानी चढा था (गोल्ड प्लेटेड सिल्वर) जैसे ही लिए, ट्रेप दल ने उसे रंगे हाथ दबोच लिया।

ट्रेप कार्रवाई के बाद जेल से जमानत पर छूटा था आरोपी

ट्रेप कार्रवाई करने के उपरांत आरोपी को गिरफ्तार कर विशेष न्यायाधीश के न्यायालय में पेश किया जहां से उसे जेल भेज दिया गया था और बाद में उच्च न्यायालय से जमानत मिलने पर आरोपी जेल से बाहर आया। अग्रिम विवेचना उपपुलिस अधीक्षक वीके पटेल द्वारा की गई। विवेचना के उपरांत आरोपी के विरुद्ध धारा 7, 13(1)(डी), 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 का आरोप प्रमाणित पाए जाने पर चालान विशेष न्यायाधीश के न्यायालय में वर्ष 2019 में पेश किया गया था। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा कुल 11 अभियोजन साक्षी को पेश कर साक्ष्य कराए गए। मामले में लगभग 50 दस्तावेजी साक्ष्य भी प्रस्तुत कर प्रमाणित कराए गए। अभियोजन द्वारा इस प्रकरण में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों, अभियोजन साक्षियों के कथनों एवं लिखित तर्कों से संतुष्ट होते हुए सोमवार को सतना की विशेष न्यायालय ने आरोपी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 में 4 वर्ष एवं 50 हजार रुपए का अर्थदंड और धारा 13(1)(डी), 13(2) में 5 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 50 हजार रुपए कुल एक लाख रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया।

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