मध्य प्रदेश

बाबा महाकाल की पहली सवारी निकली, मनमहेश के रूप में भक्तों को दिए दर्शन

उज्जैन। सावन महीने के पहले सोमवार को उज्जैन में राजाधिराज भगवान महाकाल की सवारी निकली। सावन की पहली सवारी में बाबा महाकाल मनमहेश के रूप में भक्तों को दर्शन दिए। महाकालेश्वर को उज्जैन का महाराजा माना जाता है। अवंतिका नाथ होने के नाते वे अपनी प्रजा के हाल जानने के लिए निकले। सवारी में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। जगह-जगह बाबा महाकाल का फूल बरसाकर स्वागत किया गया। महाकाल चौराहे से शुरू हुई सवारी हरसिद्धि होते हुए रामघाट पहुंची, जहां क्षिप्रा नदी के जल से बाबा महाकाल का अभिषेक-पूजन किया गया। यहां से बाबा की सवारी श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस रवाना हुई। परंपरानुसार कलेक्टर ने भगवान महाकाल का पूजन किया। इसके बाद बाबा को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

सावन सोमवार की संध्या को किया गया बाबा महाकाल का अलौकिक श्रृंगार।

विशाल ध्वज के साथ भगवान महाकाल की सवारी निकाली गई। श्रावण माह के पहले दिन सोमवार को उज्जैयिनी के भ्रमण पर निकलकर भगवान महाकालेश्वर ने अपनी प्रजा का हाल जाना और दर्शन दिये। सवारी के निकलने के पूर्व महाकालेश्वर मंदिर परिसर के सभामंडप में उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव, महापौर मुकेश टटवाल, विधायक पारसचंद्र जैन एवं कलेक्टर, कुमार पुरुषोत्तम, एसपी सचिन शर्मा, पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी जी महाराज, आदि ने भगवान श्री महाकालेश्वशर का पूजन -अर्चन किया और आरती में सम्मिलित हुए। इसके बाद अपने निर्धारित समय शाम 4 बजे पालकी में विराजित भगवान श्री मनमहेश स्वरूप में नगर भ्रमण पर निकले। भगवान श्री महाकाल की पालकी के नगर भ्रमण के रवाना होने के पूर्व सर्व प्रथम भगवान श्री महाकालेश्वर का षोडशोपचार से पूजन-अर्चन किया गया। इसके पश्चारत भगवान की आरती की गई।

कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम और एसपी सचिन शर्मा ने सपरिवार महाकाल का सवारी के पूर्व पूजन अभिषेक किया।

पालकी जैसे ही महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची, मध्य प्रदेश सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा भगवान महाकाल को सलामी (गार्ड ऑफ ऑनर) देने के बाद पालकी नगर भ्रमण की ओर रवाना हुई। पालकी में विराजित भगवान श्री मनमहेश के दर्शन करने भक्त पलक पावडे बिछा कर बाबा महाकाल के मनमहेश स्वरूप को निहारने को सवारी मार्ग के दोनों ओर हजारों श्रद्धालुओं ने निहारा।

महाकाल मंदिर से सवारी नगर भ्रमण पर निकलने के पूर्व महाकालेश्वर सशस्त्र पुलिस बल द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

सवारी मार्ग में हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान महाकाल को पुष्प अर्पित कर दर्शन लाभ लिए

सवारी विभिन्न मार्गो से होती हुई शिप्रा के किनारे रामघाट पहुंची बाबा महाकाल के स्वरूप मन महेश रूप का शिप्रा के जल से पूजन अर्चन किया गया यहां भी श्रद्धालुओं की बड़ी सख्या मौजूद रहे पूजन अर्चन के पश्चात बाबा की सवारी पुनः शिप्रा तट पर गार्ड ऑफ ऑनर लेकर पुनः मंदिर की ओर रवाना हुई।

राजाधिराज भगवान अवंतिकानाथ ने किया नगर भ्रमण।

शिप्रा रामघाट पर बाबा की पालकी पहुंचने पर उनकी एक झलक पाने के लिए दोनों तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

शिप्रा स्थित रामघाट पर बाबा महाकाल शिप्रा के जल से पूजन अर्चन किया गया।

कुल 10 सवारी निकाली जाएंगी

सावन के हर सोमवार को महाकाल राजा की सवारी निकालने का विधान है। इस साल अधिक मास होने से सावन 59 दिन का होगा। इस दौरान कुल 10 सवारी निकाली जाएंगी। इनमें 8 सवारी सावन महीने और दो सवारी भादों में निकाली जाएंगी।

शाही सवारी 11 सितंबर को

  • पहली सवारी : 10 जुलाई
  • दूसरी : 17 जुलाई
  • तीसरी : 24 जुलाई
  • चौथी : 31 जुलाई
  • पांचवीं : 7 अगस्त
  • छठवीं : 14 अगस्त
  • सातवीं : 21 अगस्त
  • आठवीं : 28 अगस्त
  • नौवीं : 4 सितंबर
  • 10वीं शाही सवारी : 11 सितंबर

भस्म आरती में सूखे मेवों से बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार

भस्म आरती में जल से भगवान महाकाल का अभिषेक करने के बाद दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और फलों के रस से बने पंचामृत से पूजन किया गया। भांग, चंदन, सूखे मेवों से बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार कर भस्म अर्पित की गई। इसके बाद रजत का त्रिपुंड, त्रिशूल और चंद्र अर्पित किया गया। शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुंडमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ सुगंधित पुष्प से बनी फूलों की माला अर्पित की गई। मोगरे और गुलाब के पुष्प अर्पित कर फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया। मान्यता है कि भस्म अर्पित करने के बाद भगवान निराकार से साकार रूप में दर्शन देते हैं।

Back to top button