लेखक की कलम से

अपनापन …

अपना कह कर

उसने मेरी बाँहें काटी

मैं चुप रह गई

अपना कह कर

उसने मेरे पाँव भी छीने

मैं सब सह गई

अपना कह कर

उसने गला है काटा

अब तो मरना

तय है मेरा 

©डॉ. दलजीत कौर, चंडीगढ़              

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