लेखक की कलम से
प्रेम और क्षमा …
मैं मुहब्बत से भरे एहसास की परिचायिका हू
प्रेम के सागर में डूबी खूबसूरत नायिका हूं
तुम लगा कर के गले मुझ को तसल्ली दे तो दो
मैं तुम्हारे इश्क में पागल हूं प्यारी गायिका हूं
मैं तेरे गीतों को होठों पर सजा कर रख रही
इश्क में गुमनाम गहरे प्रेम कि मैं प्रेषिका हू
जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी
देव दर्शन के लिए मैं देव तेरी देविका हू
तुम दिलों पर राज करने के लिए आए यहां
जो किया बस यह समझना मैं तुम्हारी सेविका हू
जिस मोहब्बत के लिए मैंने क्षमा मांगी बहुत
हे प्रभु ले लो शरण में मैं तुम्हारी अर्जिका हूं
आखिरी दम तक तुम्हारे साथ रहना है मुझे
इस नए साहित्य की मैं एक नई अपराजिता हूं
©क्षमा द्विवेदी, प्रयागराज