छत्तीसगढ़ का नाम रौशन करने वाली गौरेला-पेंड्रा-मरवाही की राष्ट्रीय जिम्नास्ट वर्षा रानी कर रही आंगबाड़ी में छोटी सी नौकरी…
गौरेला पेंड्रा मरवाही। राष्ट्रीय स्तर पर जिमनास्टिक का 6 बार उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली मरवाही के ग्राम पथर्रा में रहने वाली वर्षा रानी ने छत्तीसगढ़ में खेल और खिलाड़ियों के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं मिलने से निराश होकर अपने गांव के आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यकर्ता की नौकरी कर रही है। तमाम अभावों एवं चुनौतियों के बावजूद भी राष्ट्रीय जिम्नास्ट वर्षा रानी का हौसला अभी कम नहीं हुआ है, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में अपनी ईमानदार सेवा देने के साथ वह भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए डटकर मेहनत कर रही है।
पथर्रा गांव के आदिवासी किसान लाल सिंह एवं मीना बाई की बेटी वर्षा रानी जब गांव के मैदान में अपना प्रदर्शन करती है तो राह चलते लोग दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। स्कूली जीवन में अपने विद्यालय शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल सकोला पेंड्रा मे रेत एवं बेंच पर जिमनास्टिक खेल सीख कर 6 बार राष्ट्रीय जिमनास्टिक में भाग लेकर छत्तीसगढ़ का नाम रोशन करने वाली वर्षा रानी 3 साल पूर्व जीव विज्ञान विषय में 73% अंक लेकर12वीं पास करने के बाद आज भले ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की छोटी सी नौकरी कर रही है पर उसका हौसला अभी कमजोर नहीं हुआ है। वह छत्तीसगढ़ में जिमनास्टिक के लिए बहुत कुछ करने की इच्छा रखती है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता होने के बावजूद वर्षा रानी जोर शोर से जिमनास्टिक के साथ भारतीय सेना में जाने भी तैयारी कर रही हैं। वर्षा रानी ने बताया कि बहुत अफसोस होता है कि इतना सीखने की चाह होते हुए भी बिना किसी सुविधा के आगे नहीं बढ़ पा रहे । जिमनास्टिक के सामान के बिना अच्छे से सीख नहीं पा रहे। वर्षा रानी कहती है कि वह अपने जूनियर वर्ग को भी जिमनास्टिक सिखा कर आगे बढ़ाना चाहती हुं। वर्षा रानी बताती है कि स्कूली जीवन में अपने विद्यालय में उसने बगैर साधनों के जिमनास्टिक सीखी। उसका विद्यालय छत्तीसगढ़ में एकमात्र ऐसा विद्यालय रहा है जहां से हर साल 24 से 25 लड़कियां राज्य एवं राष्ट्रीय जिमनास्टिक में प्रदर्शन करती है।
वर्षा रानी को अफसोस होता है कि उसका स्कूल पीछे छूट गया परंतु शासन ने उसके स्कूल को आज भी जिमनास्टिक की कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई जबकि उसका स्कूल जिमनास्टिक छात्राओं की फैक्ट्री है।उसे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में काम करना अच्छा लगता है तथा बहुत गर्व भी महसूस होता है कि मैं अपने गांव में छोटे-छोटे बच्चों के बीच अपनी सेवा दे पा रही हूं परंतु मेरी सेवा और सोंच यहीं तक सीमित नहीं है मैं और भी आगे कुछ अच्छा और बड़ा करना चाहती हुं ताकि मैं हर एक माता-पिता के छात्र-छात्राओं के लिए एक उदाहरण बन सकूं। विपरीत परिस्थितियों में भी मजबूत इरादों और हौसलों की धनी वर्षा रानी कहती है कि मुझे बहुत अफसोस होता है कि इतना जिमनास्टिक और एथलेटिक गेंम राज्य स्तर, राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचने के बाद भी आगे नहीं बढ़ पा रही आंगनबाड़ी में ही सेवा दे पा रही हुं।
बचपन से ही खेल-कूद में मेरा शौक रहा है और मेरे माता पिता ने हर समय में मेरा हौसला बढ़ाया है, गांव की एक साधारण आदिवासी किसान परिवार की लड़की होने के बाद भी हर चीज में आगे रहने की सीख दी । मैंउनकी हमेशा ऋणी रहूंगी. । भारतीय सेना में जाने की इच्छुक वर्षा रानी ने बताया कि मेरे स्कूल के शिक्षक अक्षय नामदेव एवं शिक्षिका निशा पांडे हमें आगे बढ़ने के लिए बहुत प्रोत्साहित करते रहे। बचपन से ही मेरा शौक रहा है कि मैं देश सेवा करूं जिसके लिए मेरी मैदानी तैयारी चल रही है। जिमनास्टिक की तकनीकों के बारे में वर्षा रानी बताती है कि जिमनास्टिक जैसे खेल को सीखते समय बहुत ही सतर्क रहना पड़ता है, क्योंकि इसे खाली जमीन में सीखना और करना बहुत मुश्किल होता है फिर भी हमने बहुत कोशिश और मेहनत किया और राष्ट्रीय स्तर पर प्रर्दशन भी किया।
सरकार यदि हमारे पास जिमनास्टिक जैसे खेल के लिए उपयुक्त सामान हो तो हम आगे तक भी पहुंच सकते हैं और अपने गांव, देश का नाम रौशन करने की चाह को पूरा कर सकते हैं। वर्षा ने बताया कि हमने अपने विद्यालय जिमनास्टिक खेल के सामान के लिए बहुत बार शासन का ध्यान आकृष्ट कराया और हर तरह की कोशिश की कि हमारे विद्यालय में जिमनास्टिक खेल प्रशिक्षण की व्यवस्था हो जाए परंतु हमारी आवाज उन तक नहीं पहुंची जो हमारे लिए कुछ कर सकते थे!
एक खिलाड़ी को अपना हुनर और प्रतिभा को आगे बढ़ाने के लिए कोई रास्ता नहीं मिलता तो उनकी उम्मीदें हर तरीके से टूट जाती है तब उनके पास कोई रास्ता ही नहीं बचता आगे बढ़ने के लिए ,,,,। वर्षा रानी ने सरकार से खिलाड़ियों के तरफ़ से अनुरोध किया है कि स्कूल, काॅलेजो में नियमित रूप से खेल का सामान और खेल प्रशिक्षक हों। समय समय जिमनास्टिक जैसे खेल जिसको सीखते समय बहुत ही सतर्क रहना पड़ता है।
वर्षा रानी का कहना है कि जिमनास्टिक का खेल खाली जमीन में सीखना और करना बहुत मुश्किल होता है फिर भी हमने बहुत कोशिश और मेहनत किया और राष्ट्रीय स्तर पर प्रर्दशन भी किया, यदि हमारे पास जिमनास्टिक जैसे खेल के लिए उपयुक्त सामान हो तो हम आगे तक भी पहुंच सकते हैं और अपने गांव, देश का नाम रौशन करने की चाह को पूरा कर सकते हैं, हमने खेल के सामान के लिए बहुत बार स्कूल शिक्षकों, खेल प्रशिक्षक के माध्यम से विधायक, कलेक्टर, न्यूज रिपोर्ट हर तरीके से कोशिश किये किन्तु हमरी आवाज हमारी आशाएं उन तक नहीं पहुंच पा रही है। एक खिलाड़ी को अपना हुनर और प्रतिभा को आगे बढ़ाने के लिए कोई रास्ता नहीं मिलता तो उनकी उम्मीदें हर तरीके से टूट जाती है तब उनके पास कोई रास्ता ही नहीं बचता आगे बढ़ने के लिए।
अतः हम सभी खिलाड़ियों के तरफ से सरकार से विनम्र अनुरोध है कि हमारे लिए भी गंभीरता से सोचें और ध्यान दें, स्कूल, कालेजों में नियमित रूप से खेल का सामान और खेल प्रशिक्षक हों समय समय पर प्रतियोगिता कराई जाए ताकि पढ़ाई के साथ-साथ हम खेल-कूद में भी आगे रहें और अपने गांव अपने देश का नाम रौशन कर सकें देश का नाम रौशन कर सकें।