मध्य प्रदेश

166 करोड़ रुपए के घपले, पुलिस-पीएचई ट्राइब वेलफेयर समेत 43 विभाग लिप्त

भोपाल

आयुक्त कोष एवं लेखा ने कई विभागों के पांच साल के डेटा एनालिसिस और इंटेलीजेंस टूल का उपयोग करते हुए प्रदेश के 43 सरकारी कार्यालयों में 166 करोड़ का गबन-घोटाला पकड़ा है। लोेक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के ग्वालियर कार्यालय में डमी दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के नाम पर 81 करोड़ रुपए का भुगतान हो गया। इंदौर कलेक्टर कार्यालय में 9 करोड़ 24 लाख रुपए, एसपी शिवपुरी कार्यालय में 9 लाख, एसएएफ धार में 42 लाख 85 हजार रुपए का गबन-घोटाला हो गया। इन मामलों में अब तक 26 कार्यालयों के 173 अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है और 15 करोड़ 48 लाख रुपए की वसूली भी की जा चुकी है। शेष दोषियों पर भी एफआईआर और इनसे वसूली की कार्यवाही की जा रही है।

आयुक्त कोष एवं लेखा कार्यालय के अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक सबसे बड़ा घोटाला लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के ग्वालियर कार्यालय में पकड़ में आया है। यहां आहरण एवं संवितरण अधिकारी के कार्यालय के बाबूओं ने डमी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नाम पर 81 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया। यह राशि उनके परिजनों, रिश्तेदारों के नाम पर ट्रांसफर हो गई और सरकारी खजाने से निजी खातों में पहुंच गई। अलीराजपुर में डिस्ट्रिक एजूकेशन आफिसर कार्यालय, एननबीडीए खरगौन, होशंगाबाद पुलिस अधीक्षक, शिवपुरी पुलिस अधीक्षक कार्यालय, धार में सेनानी 34 वी वाहिनी विसबल कार्यालय के आहरण एवं संवितरण कार्यालय के बाबूओं ने  ने अपने बच्चों, पत्नी और अन्य रिश्तेदारों के खातों में करोड़ों रुपए अवैधानिक रुप से ट्रांसफर कर दिए। शिवपुरी पुलिस अधीक्षक कार्यालय के बाबू ने फर्जी सेलरी आहरण कर ली।पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय इंदौर में बारह लाख रुपए से अधिक के कपटपूर्ण भुगतान और गबन के मामले सामने आए है।

प्रदेश में सबसे पहले इंदौर कलेक्टर कार्यालय का मामला आया सामने, कुछ केस में वसूली भी हुई  
कलेक्टर इंदौर कार्यालय में सबसे पहला गलत भुगतान का मामला सामने आया था। पीएचई ग्वालियर में सर्वाधिक 80 करोड़ रुपए का फर्जी भुगतान डमी दैनिक वेतन भोगियों के नाम से कर दिया गया।  उन्होंने बताया के कुछ कर्मचारियों को टर्मिनेट भी किया गया है और कुछ मामलों में वसूली भी की जा चुकी है। शेष सभी विभाग प्रमुखों को पत्र लिखकर दोषियों के खिलाफ एफआईआर और अन्य कार्यवाही करने तथा उनसे गबन-घोटाले की राशि ब्याज सहित वसूली करने के निर्देश दिए गए है।

डीजीपी को भी नहीं दी जानकारी
जिस पुलिस पर गबन-घोटाले के मामलों में एफआईआर करने और दोषियों, घोटालेबाजों को पकड़ने तथा अपराधों पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी है वहां के अफसर और कर्मचारी तो और भी गैरजिम्मेदार निकले।  एसपी नर्मदापुरम, एसपी शिवपुरी, सेनानी 34 वी वाहिनी विसबल धार और प्पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय इंदौर में तो गबन और कपटपूर्ण भुगतान होते रहे और इनके कार्यालय प्रमुखों ने पुलिस महानिदेशक तक को इसकी सूचना नहीं दी। आयुक्त कोष एवं लेखा द्वारा कराई गई जांच में मामले सामने आने के बाद पुलिस महानिदेशक ने संबंधित अफसरों पर भारी नाराजगी जताते हुए कहा है कि गबन और कपटपूर्ण भुगतान की पुष्टि होंने पर भी संबंधित किसी भी इकाई ने पुलिस मुख्यालय को आज तक सूचना नहीं दी। यह काफी खेदजनक है। भविष्य में आयुक्त कोष एवं लेखा द्वारा जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश उन्होंने दिए है।

5 हजार से ज्यादा बार भुगतान
आयुक्त कोष एवं लेखा ज्ञानेश्वर पाटिल ने बताया कि प्रदेश में एकीकृत वित्तीय प्रबंधन सूचना प्रणाली के सॉफ्टवेयर के माध्यम से 5 हजार 600 आहरण एवं संवितरण अधिकारियों द्वारा भुगतान किए जाते है। प्रदेश के दस लाख से अधिक कर्मचारियों के वेतन और अन्य स्वत्वों के भुगतान, कार्यालयीन खर्चे, अनुदान, स्कालरशिप का भुगतान भी किया जाता है। पाटिल ने बताया कि विभाग ने पिछले पांच साल में 85 लाख देयकों से किए गए 15 करोड़ भुगतानों के डाटा का एनालिसिस किया और इंटेलिजेंस टूल का उपयोग करते हुए प्रदेश में 166 करोड़ से अधिक के गबन-घोटाले, वित्तीय अनियमितताओं के मामले पकड़े है।

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