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700 करोड़ से छत्तीसगढ़ के 3 रेलवे स्टेशनों का होगा कायापलट, रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर में सिनेमा हॉल, शॉपिंग मॉल समेत एयरपोर्ट जैसी मिलेंगी सुविधाएं …

बिलासपुर । छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, रायपुर और दुर्ग स्टेशन की तस्वीर अब जल्द ही बदलने वाली है। बिलासपुर के साथ रायपुर और दुर्ग रेलवे स्टेशन में आने वाले दिनों में यात्रियों को काफी बदलाव देखने को मिलेगा। ट्रेन से उतरकर यात्री चाहे तो खाने के साथ ही हरी सब्जियां और बच्चों के लिए बहुत कुछ स्टेशन से ही खरीद कर घर जा सकेंगे। इन तीनों स्टेशनों को रेल मंत्रालय अत्याधुनिक सुविधा से लैस करने जा रहा है। बजट में घोषणा होने एवं रेलवे मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद रेलवे अधिकारियों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। तीनों ही स्टेशन का सर्वे कर ड्राइंग तैयार की गई है। स्टेशन के विकास में बाधा बनने वाले इंफ्रास्टक्चर को भी गिरा कर नई बिल्डिंग बनाई जाएगी। बजट में मिले रुपए से जल्द ही तीनों स्टेशन में क्या क्या बदलाव होगा, इसको लेकर प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजने की बात कही जा रही है।

रेल मंत्रालय ने भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन की तरह इन तीनों स्टेशनों का कायाकल्प करने का फैसला लिया है। आने वाले समय में इन स्टेशनों में एयरपोर्ट की तरह सुविधाएं मिलेंगी। तीन मंजिला नई बिल्डिंग बनाई जाएगी, जिसमें एसी वेटिंग हॉल, रूम, एस्केलेटर सहित अन्य आकर्षक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। 100 साल से भी अधिक पुराने बिलासपुर रेलवे का नजारा भी कुछ अलग देखने को मिलेगा ।

रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि भोपाल का रानी कमलापति रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट जैसी सुविधाओं वाला इंटरनेशनल स्तर का रेलवे स्टेशन बन गया है। इसी तरह कई खूबियों और कई अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस वर्ल्ड क्लास स्टेशन के रूप में बिलासपुर सहित रायपुर और दुर्ग के स्टेशन को तैयार किया जाएगा। रेलवे ने बजट में स्वीकृति मिलने के बाद तीनों स्टेशनों के रिडेवेलपमेंट का प्लान तैयार किया है। इसके तहत करीब 700 करोड़ से अधिक खर्च करके रेनोवेट किया जाएगा।

इन स्टेशनों में सिनेमा हॉल, शॉपिंग मॉल, सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल और शानदार होटल का भी आनंद लिया जा सकता है। इसी तरह यात्रियों की सुविधाओं के लिए प्रतीक्षालय रूम, विश्राम गृह, अराइवल डिपार्चर पैसेंजर के इन आउट की अलग- अलग सुविधा, कोनकोर्स फ्लोर, मल्टीलेवल पार्किंग, एप्रोच सड़क, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, एस्केलेटर यानी बिजली से चलने वाली सीढ़ियां, इंडक्शन बोर्ड, इनक्वायरी रूम, टेलीफोन सुविधा, प्लेटफॉर्म टिकट मशीन, विकलांगों के लिए सुविधा, कुली, रिटारयरिंग रूम, पीने का पानी, सफाई, आकर्षक लाइटिंग जैसी सुविधा उपलब्ध रहेंगी। इसके अलावा 45 डिग्री से ज्यादा टेम्परेचर होने पर वाटर स्प्रिकंलर ऑन हो जाएंगे। वहीं, आग लगने पर एग्जास्ट फेन भी पूरी रफ्तार से धुआं बाहर फेंकने लगेंगे। अनाउसमेंट के लिए हाई क्वालिटी के स्पीकर, एनर्जी सेविंग एलईडी लाइट स्टेशन एयरपोर्ट की तरह सुविधाओं से ही लैस होगी।

देश को सबसे ज्यादा आय देने वाला है बिलासपुर जोन

दरअसल, साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे (SECR) देश के सबसे ज्यादा रेवेन्यू देने वाला रेलवे जोन है। माल लदान में जोन ने कई कीर्तिमान हासिल किए हैं। ऐसे में लगातार यहां यात्री सुविधाओं के विस्तार की मांग ाउठता रहा है। लिहाजा, इसे देखते हुए रेलवे ने जोन के प्रमुख स्टेशनों के रिडेवलपमेंट का प्लान तैयार किया है।

ब्रिटिशकाल में हुआ था रेलवे स्टेशन का निर्माण

बिलासपुर रेलवे स्टेशन का निर्माण 1887 में बंगाल-नागपुर रेलवे के अंतर्गत किया गया था। तब ब्रिटिश गवर्मेंट ने बिलासपुर में रेल लाइन बिछाई। और 1890 में बिलासपुर को स्टेशन बना दिया। बाद में 1891 में बिलासपुर जंक्शन बना। 1998 में बिलासपुर जोन की घोषणा हुई और 2003 में बिलासपुर जोन दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के रूप में देश का 16वां जोन बना। रेलवे स्टेशन की इमारत की खूबसूरती को देखते हुए रेलवे मंत्रालय ने इसके मूल संरचना में अब तक कोई बदलाव नहीं किया है।

स्टेशन से जुड़ी हैं राष्ट्र कवि रविंद्र नाथ टैगोर की यादें

बिलासपुर स्टेशन को राष्ट्र कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी कविता ‘फांकि’ की पंक्तियों में जगह दी है। दरअसल, उन्होंने इस कविता की पंक्ति वर्ष 1918 में बिलासपुर स्टेशन में लिखी थी। तब कोलकाता-बिलासपुर से आगे जाने के लिए यहां ट्रेन बदलनी पड़ती थी। राष्ट्र कवि टैगोर को बिलासपुर रेलवे स्टेशन से कटनी रूट पर पेंड्रा की ओर जाना था। लिहाजा, ट्रेन के इंतजार में उन्होंने छह घंटे बिताए थे। इसी दौरान उन्होंनें कविता फांकि लिखी, जिसका जिक्र भी उन्होंने अपनी किताब में किया था। बिलासपुर रेलवे ने भी इस कविता को धरोहर के रूप में स्टेशन में सहेजकर रखा है।

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