लेखक की कलम से
अगहन पूर्णिमा का स्वागत
घुटन को ढोते ढोते थक गये जरा चिलमन हटा दें क्या
कौंधती बिजलियों से
दिल की खिरमन सजा दें क्या
कह दूं गर हर बात तो जग अनमना हो जाएगा
कर के प्यार की बातें अपनों को दुश्मन बना लें क्या!
©लता प्रासर, पटना, बिहार