लेखक की कलम से

एक जगह….

 

चलो ……चलते है।

एक ऐसी जगह

जिंदगी ……..

जहां जा कर ,

जिंदगी लगे।

कुछ ऐसे खवाब बुनते है।

चलो …………..चलते है।

 

एक ऐसी जगह,

जहां रेत के ढेर हो।

हम उकेरे जिंदगी को,

अगले ही पल ,

जिंदगी के सत्य से,

कुछ इस तरह से मेल हो।

जीवन के सत्य का सुमेल हो।

 

उमर भर इंसान,

रेत के महल बनाता है।

अगले ही पल,

फिर जिंदगी को,

रेत -रेत पाता है।

 

चलो……चलते है।

एक ऐसी जगह…….

जहां ऊंचे -ऊंचे पहाड़ हो।

 

मुश्किलों के बाद,

जब ऊंचाइयों का अहसास हो।

लेकिन उन ऊंचाइयों पर,

जिस सत्य से साक्षात्कार हो।

 

जिन मुश्किलों को पार कर,

ऊंचा और ऊंचा चढ़ता रहा।

 

वो ऊंचाई सबको बौना कर गई।

तन्हा करके जिंदगी को,

तन्हाइयों की,

सफेद चादर से ढक गई।

 

चलो ………चलते है।

जिंदगी जहां जा कर जिंदगी लगे।

चलो………. चलते है।

एक ऐसी जगह………

 

जहां समंदर हो।

जिंदगी की गहराई लिये,

असीमता से,

मेल करती अनंतता हो।

भीतर हलचल लिये,

ऊपर से शांत अहसास हो।

 

जिंदगी में कुछ पास लिये,

और कुछ दूर जाता अहसास हो।

 

चलो…..चलते है।

ऐसी जगह जहां जिंदगी का अहसास हो।

भीतर की भटकन का,

जहां खत्म हर अहसास हो।।

©प्रीति शर्मा “असीम”, सोलन हिमाचल प्रदेश

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