धर्म

यात्रा वृतांत, फ़िरोज गांधी डिग्री कॉलेज के सभागार में धूमधाम से मनाया गया आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति संरक्षण अभियान की रजत जयंती को …

अक्षय नामदेव। 12 नवंबर की शाम 6:00 बजे फिरोज गांधी सभागार में हम फिर एक बार उपस्थित हुए।आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति द्वारा मई 1998 को शुरू किये गए ‘आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति संरक्षण अभियान’ की रजत जयंती को फ़िरोज गांधी डिग्री कॉलेज के सभागार धूमधाम से मनाया गया जिसके हम साक्षी बने। 11 एवं 12 नवंबर को आयोजित दो दिवसीय द्विवेदी मेला का यह समापन कार्यक्रम था जो मुख्य आकर्षण था। इस मुख्य आयोजन में देश की विशिष्ट विभूतियों का सम्मान किया गया।  मुख्य आयोजन यानी सम्मान सत्र की विशिष्ट आकर्षण रहीं प्रख्यात लोकगायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी। मैं मालिनी अवस्थी को यूट्यूब पर काफी लंबे समय से सुनता रहा हूं इसलिए उनका फैन भी रहा हूं। इसे संयोग कहूं या अपना भाग्य कि आज मैं उन्हें समक्ष देख एवं सुन पाऊंगां। यह तब और खास हो जाता है जब आयोजन समिति की ओर से उन्हें आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी युगप्रेरक सम्मान प्रदान किया गया। यह भी मेरा सौभाग्य है कि इस राष्ट्रीय आयोजन समिति का मुझे भी सदस्य बनने का गौरव प्राप्त हुआ है।रजत जयंती समारोह के मंच पर एक अन्य विशिष्ट अतिथि पद्मश्री हलधर नाग भी मौजूद थे, जिन्होंने संबलपुरी (उड़िया) भाषा में जनसरोकारों को कविताएं रची हैं। हलधर नाग को यहां डॉ. राममनोहर त्रिपाठी लोकसेवा सम्मान प्रदान किया गया।  इसके अलावा महात्मा गांधी विश्वविद्यालय वर्धा से आए डॉ. कृपाशंकर चौबे को प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा गया और इंटरमीडिएट की 2022 की परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाली जनपद की मेधावी छात्रा आस्था श्रीवास्तव को शिवानंद मिश्र लाले स्मृति सम्मान प्रदान किया गया। प्रयागराज से आए वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक डॉक्टर केके श्रीवास्तव का उनके चिकित्सा क्षेत्र में योगदान हेतु विशेष अभिनंदन किया गया। वही जनपद में अब से 62 वर्ष पूर्व डिग्री कॉलेज की स्थापना करने वाले फिरोज गांधी कॉलेज के संस्थापक प्रबंधक ओंकार नाथ भार्गव का यहां मरणोपरांत नागरिक अभिनंदन किया गया।

पूरे कार्यक्रम में मेरे लिए सबसे खास बात यह रही की बेटी मैंकला को लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी एवं लोक कवि पद्मश्री हलदर नाग द्वारा प्रशस्ति पत्र एवं नगद राशि देकर मंच पर पुरस्कृत किया।

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति की अमेरिका और भारत इकाई की ओर से संयुक्त रूप से भारत और अमेरिका वर्ग के छात्र छात्राओं के लिए ऑनलाइन आयोजित की गई थी। निबंध प्रतियोगिता में भारत वर्ग में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के समकालीन लेखक एवं क्रांतिकारी पंडित माधव राव सप्र की कर्म भूमि पेंड्रा (छत्तीसगढ़) की केंद्रीय विद्यालय अमरकंटक की छात्रा मैकला नामदेव ने प्रथम और रायबरेली के रेयान इंटरनेशनल स्कूल की छात्रा आद्या गुप्ता ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया था। रेयान इंटरनेशनल स्कूल रायबरेली की ही छात्रा कात्यायनी त्रिवेदी ने सांत्वना पुरस्कार अर्जित किया था।इन तीनों ही मेधावी छात्राओं को आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति संरक्षण अभियान रजत जयंती महोत्सव पर फिरोज गांधी कालेज सभागार में आयोजित सम्मान समारोह में समिति की ओर से प्रमाण पत्र एवं नकद पुरस्कार देकर पद्मश्री मालिनी अवस्थी एवं पद्मश्री हलधार नाग ने सम्मानित किया। आयोजन समिति के संयोजक गौरव अवस्थी लिखते हैं कि यह कितना सुखद है कि आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्त्री सम्मान के प्रबल पक्षधर थे और उनकी स्मृति में आयोजित निबंध प्रतियोगिता में तीन छात्राओं ने अपना स्थान सुरक्षित किया। इसके अतिरिक्त रायबरेली शहर के ही छात्र श्रवण कुमार मिश्र उर्फ रजत नेवी सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया।

स्वागत, सम्मान एवं पुरस्कार वितरण के बाद पद्मश्री लोक गायिका मालिनी अवस्थी को उद्बोधन के लिए आमंत्रित किया गया जिसका हम सभी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।मालिनी अवस्थी ने जब बोलना प्रारंभ किया तो ऐसा लगा समय थम गया है। हम अवाक होकर उन्हें सुनते ही रह गए। बोला ही उन्होंने कुछ इस तरह से,,। अपने क्षेत्र, अपनी बोली, अपनी भाषा, अपनी संस्कृति, रीति रिवाज, लोक परंपराएं, अपने परिवार समाज सबको उन्होंने अपने उद्बोधन में रेखांकित किया। उनके उद्बोधन से ही हमें पता चला कि वह उत्तर प्रदेश की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ( सेवानिवृत्त) की पत्नी है तथा स्वयं भी आईएएस की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण कर चुकी थी। उद्बोधन में उनका लहजा कुछ इस तरह से था कि महसूस हुआ कि इतनी लोकप्रियता और ऊंचाई पाने के बाद भी उन्हें घमंड  दूर तक छू नहीं गया है।

लगभग 50 मिनट का उनका उद्बोधन जैसे पलक झपकते समाप्त हो गया। उन्हें सुनने के बाद उनके प्रति श्रद्धा और बढ़ गई जो अब आजीवन ही रहेगी। ऐसे व्यक्तित्व को सुनने का सौभाग्य दुर्लभ है। मालिनी अवस्थी जीके उद्बोधन के बाद पद्मश्री जनकवि हलधर नाग को सुनने का एक बार फिर अवसर मिला। उन्हें 11 नवंबर को काव्यांजलि कार्यक्रम में भी सुन चुके थे।

समापन समारोह में अतिथियों का स्वागत समिति की ओर से गौरव अवस्थी ने किया वही समिति की रूपरेखा अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने प्रस्तुत की तथा अतिथियों का आभार विनय द्विवेदी ने प्रकट किया। समारोह में आनंद स्वरूप श्रीवास्तव, अनुराग त्रिपाठी, अमित लीला पनसानिया, वीरेंद्र विक्रम सिंह,  दीपक तिवारी, मोहित गुप्ता, आयुष राठौर, चंद्रमणि बाजपेई, रामबाबू मिश्रा, घनश्याम मिश्रा, विजय मिश्र, अरुण पांडे, अभिषेक मिश्रा, रोहित मिश्रा आदि के अलावा रायबरेली शहर के अनेक विशिष्ट जन इस समारोह में शामिल हुए।

इसी कार्यक्रम में सम्मान सत्र से पूर्व समिति की प्रत्येक वर्ष प्रकाशित होने वाली आचार्य पथ स्मारिका, हलधार नाग की पुस्तक रामायण के प्रसंग तथा उसके युगीन विमर्श और डॉ राम मनोहर त्रिपाठी पर आधारित शोध ग्रंथ डॉ राम मनोहर त्रिपाठी और उनकी साहित्य साधना का विमोचन भी किया गया। हलधार नाग की पुस्तक के अनुसर्जक तथा विमर्शकार डॉ. दिनेश माली और डॉ राम मनोहर त्रिपाठी शोध ग्रंथ के रचयिता डॉ. बृजेश सिंह हैं। यह कार्यक्रम द्विवेदी मेला का समापन सत्र था। रात के लगभग 10:30 बज चुके थे। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद हम सभी बस से पुनः वापस होटल पहुंचे और वहां सब ने मिलकर एक साथ भोजन किया। कुछ अतिथि ऐसे थे जिन्हें रात्रि में ही निकलना था जबकि हमने सुबह यहां से अयोध्या जीजाने का कार्यक्रम बनाया हुआ था। भोजन के बाद हम सोने चले‌ गए।

 

                क्रमशः

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